स्वतंत्रता दिवस विशेष कविता/ तिरंगा
✍️ श्रीमती नीतू रानी “निवेदिता”
बायसी, पूर्णिया (बिहार)
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तीन रंग का मेरा झंडा
कितना सुन्दर प्यारा है,
इसको वीर सपूतों ने
मिलकर इसे संवारा है।
देखो ऊपर लहर रहा है
आसमान में फहर रहा है
देश -विदेश में टहल रहा है
कितना सुन्दर न्यारा है।
देखो इसमें तीन रंग हैं
केसरिया,सादा ,हरा
बीच में देखो गोल -गोल ये
ब्लू रंग का चक्र बना।
केसरिया साहस वीरता की निशानी
सादा है सच्चाई की,
हरा रंग हरियाली की है
हम सबके लिए खुशियाली की।
बीच में देखो बने चक्र को
इसमें हैं 24 लकीर,
ये लकीर दिन रातों की है
जिसपर चलते संत फकीर।
ब्लू रंग है सदा सत्य की
राह पर तुम बढ़ते जाओ,
पीछे न तुम मुड़कर देखना
यही है इसके सुन्दर प्रतीक।
इस पर है शान मुझे
और इस पर है अभियान मुझे,
अगर आ जाए इसपर कोई संकट
नहीं डर है देने में जान मुझे।
इसको स्वतंत्र करने में
कितने वीरों ने प्राण गंवाई है,
कितनी बहनों ने अपनी
माॅ॑ग की सिन्दूर मिटाई है।
आओ इनकी जय-जयकार करें हम
और नित्य करें हम इन्हें नमन,
इस झंडे के नीचे निर्भय होकर
सब मिल गाएँ जन -गण- मन।
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