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सहरसा/ मंकी पॉक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बन चुकी है बेहद गंभीर समस्या

विभागीय निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर

जिले में कल तक मंकी पॉक्स का कोई भी मामला नहीं

सहरसा : देश के कुछेक राज्यों में मंकी पॉक्स के मामले प्रतिवेदित होने पर राज्य में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अलर्ट जारी कर दिया गया है। जिला महामारी विशेषज्ञ की मानें तो मांकी पॉक्स के अभी तक कोई मामले जिले में प्रतिवेदित नहीं हुए हैं। फिर भी सावधानी बतरना बहुत जरूरी है। क्योंकि यह एक संक्रामक बीमारी है जो तेजी से एक मनुष्य से दूसरे मनुष्य में फैलता है। सरकार द्वारा जारी दिशा निर्देश के आलोक में स्वास्थ्य कर्मियों को अलर्ट पर रखा गया है। ताकि किसी प्रकार की समस्या उत्पन्न न होने पाये। वैसे स्वास्थ्य कर्मी जो क्षेत्र भ्रमण करते हों को खास हिदायत दी गई है कि वे इस प्रकार मामलों पर नजर बनाये रखें। खासकर बाहर से आने वाले लोगों में यदि इस प्रकार के किसी भी लक्षण की जानकारी होती है तो स्वास्थ्य केन्द्रों को इसकी जानकारी तुरंत दें। खासकर आशा, एएनएम, प्रखंड स्वास्थ्य उत्प्रेरक सहित सहयोगी संस्था के प्रतिनिधिगण जो जिले में चल रहे स्वास्थ्य कार्यक्रमों के दौरान क्षेत्र भ्रमण पर लगातार बने रहते हैं को विशेष हिदायत दी गई है कि कहीं से किसी भी प्रकार के मंकी पॉक्स या इससे मिलते जुलते लक्षणों वाले मरीजों की जानकारी होती है तो तुरंत जिला स्तर पर इसकी सूचना उपलब्ध करायें।

डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है मंकी पॉक्स-

जिला महामारी विशेषज्ञ डा. आनंद प्रताप अमित ने बताया मंकी पॉक्स जानवरों से मनुष्यों में फैलने वाला एक वायरस है, जिसमें स्मॉल पॉक्स जैसे लक्षण होते हैं। हालांकि यह इलाज के दृष्टि से कम गंभीर है। 1980 में चेचक के उन्मूलन और बाद में स्मॉल पॉक्स के टीकाकरण की समाप्ति के साथ मंकी पॉक्स सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद गंभीर समस्या बनकर उभरा है। मंकी पॉक्स एक डबल-स्ट्रैंडेड डीएनए वायरस है जो पॉक्सविरिडि परिवार के ऑर्थोपॉक्स वायरस प्रजाति से संबंधित है। कई जानवरों की प्रजातियों को मंकी पॉक्स वायरस के लिए जिम्मेदार माना गया है। इन जानवरों में रस्सी गिलहरी, पेड़ गिलहरी, गैम्बिया पाउच वाले चूहे, डर्मिस, गैर-मानव प्राइमेट और अन्य प्रजातियां शामिल हैं। मंकी पॉक्स वायरस के प्राकृतिक इतिहास पर अनिश्चितता बनी हुई है और इनके प्रकृति में बने रहने के कारणों की पहचान करने के लिए आगे और अध्ययन की आवश्यकता है।


उन्होंने बताया मनुष्यों में मंकी पॉक्स के संक्रमण से लक्षणों की शुरुआत आमतौर पर 6 से 13 दिनों तक होती है, किन्तु कुछ मामलों में यह 5 से 21 दिनों तक की भी हो सकती है। इसके प्रमुख लक्षणों में बुखार, तेज सिरदर्द, लिम्प नोड्स में सूजन, पीठ दर्द, मांसपेशियों में दर्द, कमजोरी आदि मुख्य हैं। यह पहले स्मॉल पॉक्स की तरह ही नजर आता है किन्तु त्वचा का फटना आम तौर पर बुखार दिखने के 13 दिनों के भीतर आरंभ हो जाता है। इसके दाने मुख्यतः गले के बजाय चेहरे और हाथ-पांव पर ज्यादा केन्द्रित होते हैं। यह चेहरे और हाथों की हथेलियों और पैरों के तलवों को ज्यादा प्रभावित करता है।

कल तक जिले में मंकी पॉक्स या इससे मिलते जुलते कोई भी मामला नहीं-

जिला महामारी विशेषज्ञ डा. आनंद प्रताप अमित ने बताया कल तक जिले में मंकी पॉक्स या इससे मिलते जुलते कोई भी मामला प्रतिवेदित नहीं हुआ है। किन्तु संक्रमण की विपरीत परिस्थितियों के मद्देनजर सचेत एवं सतर्क रहना जरूरी है। यदि जिले में मंकी पॉक्स या इससे मिलते जुलते कोई मामला प्रतिवेदित होता है तो इसकी सूचना तुरंत दें। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैल सकता है। इसलिए इन मरीजों को आइसोलेट करना जरूरी है। यह बीमारी बच्चों एवं कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को आसानी से अपने चपेट में ले सकता है।