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मोहाली/ फोर्टिस हॉस्पिटल में ‘सार्थक मीट’ के दौरान कैंसर पीडि़तों ने साझा की अपनी प्रेरक कहानियां

✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

राष्ट्रीय कैंसर सर्वाइवर्स दिवस (नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे) विशेष आयोजन

मोहाली : नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे मनाने के लिए, फोर्टिस मोहाली में सार्थक-फोर्टिस मोहाली में कैंसर सपोर्ट ग्रुप ने शनिवार को कैम्पस में एक प्रेरक कार्यक्रम का आयोजन किया, जहां जीवन के विभिन्न क्षेत्रों से कैंसर से बचे लोगों ने अपनी जीवित रहने की कहानियों को साझा करने और दूसरों को प्रेरित करने के लिए एक साथ एकत्र होने का अवसर मिला। एक हल्के-फुल्के माहौल और जानकारीपूर्ण सत्र में, 50 से अधिक कैंसर पीडि़तों के मित्र और परिवार एक छत के नीचे जश्न मनाने और ‘कैंसर से बचे लोगों के साहस और दृढ़ संकल्प को सलाम’ करने के लिए एक साथ आगे आए।

नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे उन लोगों को याद करता है जो इस बीमारी से बच गए हैं और वे अब दूसरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन रहे हैं। इस कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्ज्वलन समारोह के साथ हुई और इसके बाद खेल, डांस, तंबोला, प्रश्नोत्तर सत्र और अन्य गतिविधियों सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। इस दौरान कार्यक्रम में शामिल सभी सर्वाइवर्स और उनके परिजनों से एक जोशीली और सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली।

ऑन्कोलॉजी टीम में डॉ.राजीव बेदी, डायरेक्टर, मेडिकल ऑन्कोलॉजी; डॉ.राजीव कपूर, एडीशनल डायरेक्टर, ऑन्कोलॉजी; डॉ.नरेंद्र कुमार भल्ला, डायरेक्टर, रेडिएशन ऑन्कोलॉजी; डॉ.रजनीश तलवार, एडीशनल डायरेक्टर, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी; डॉ.अतुल जोशी, डायरेक्टर जनरल लैप्रोस्कोपी और ब्रेस्ट कैंसर सर्जन; डॉ.नवल बंसल, एंडोक्राइन और ब्रेस्ट कैंसर सर्जन; डॉ.केतन डांग, सलाहकार, ऑन्कोलॉजी; डॉ.अश्विनी सचदेवा, कंसल्टेंट; डॉ. अरुणजीत कौर, प्रिंसिपल मेडिकल ऑफिसर, ऑन्कोलॉजी; एवं अन्य स्टाफ सदस्यों ने कार्यक्रम में भाग लिया।

इस अवसर पर बोलते हुए, डॉ.बेदी ने कहा कि ‘‘नेशनल कैंसर सर्वाइवर्स डे कई कैंसर सेनानियों को एक साझा मंच पर लाता है जहां वे अपने अनुभव साझा करते हैं और एक-दूसरे को कभी उम्मीद न खोने की प्रेरणा देते हैं।’’

अभिजीत सिंह, हेड, स्ट्रैटेजिक बिजनेस यूनिट, फोर्टिस मोहाली  ने कहा कि फोर्टिस मोहाली कैंसर से बचे लोगों को एक बेहतर प्लेटफॉर्म प्रदान करने के लिए लगातार अग्रणी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि ‘‘कैंसर से बचे लोग एक प्रेरणा हैं और हमें बीमारी के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए उनके संघर्ष का जश्न मनाने की जरूरत है। ये आयोजन जीवंत जीवन का उत्सव मनाने सरीखा है।’’