चंडीगढ़/ डॉ. वजीर सिंह लाकड़ा को एमएस जोहल पुरस्कार से किया गया सम्मानित
✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़
यह पुरस्कार जूलॉजी विभाग, पीयू के प्रोफेसर जोहल की स्मृति में स्थापित किया गया है, जिनका पिछले साल निधन हो गया था
चंडीगढ़ : प्रसिद्ध इचिथोलॉजिस्ट, प्रो. मोहिंदर सिंह जोहल की स्मृति में चंडीगढ़ में एक पायनियर फशिरिज एवार्ड की घोषणा की गई। इस वर्ष का एमएस जोहल एवार्ड डॉ. वजीर सिंह लाकड़ा को दिया गया। डॉ. लाकडा ने नेशनल ब्यूरो ऑफ फिश जैनेटिक रिसोर्सिस (एनबीएफजीआर) और सेंटर फिशरिज एजुकेशन (सीआईएफई) जैसे विभिन्न प्रमुख मत्स्य पालन संस्थानों के प्रमुख के रूप में कार्य किया है और कई पीर रिव्यूड साईंटिफिक पब्लिकेशन का निर्माण किया है।
डॉ. एम.एस. जोहल की पत्नी, श्रीमती कुलदीप जोहल इस अवसर पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित थीं, जबकि उनके पुत्र श्री हरमन जोहल ने कार्यक्रम को ऑनलाइन संबोधित किया। जीएनडीयू के प्रोफेसर अनीश दुआ ने प्रो. जोहल के अन्य छात्रों के साथ कार्यक्रम की प्रमुख कार्यवाही का समन्वय किया। समिति की योजना इस पुरस्कार को प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को जारी रखने की है, जो कि प्रो. जोहल की जयंती है।
प्रो. जोहल ने पंजाब विश्वविद्यालय में फिश बायोलॉजी, इकोलॉजी, टॉक्शोनॉमी, आयु और विकास के क्षेत्र में असाधारण योगदान दिया। 16 सितंबर 2020 को उनका निधन हो गया था।
जोहल वर्ष 1987 में फिश बायोलॉजी में एक रीडर के रूप में पंजाब विश्वविद्यालय में शामिल हुए और उसके बाद कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सहयोग शुरू किए, जिनमें से एक यूएस फिश एंड वाइल्डलाइफ सर्विस भी थी। वह सभी नेशनल फिशरी इस्टिच्यूटस के एडवाइजरी बॉडी में थे और उन्होंने प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में तीन पुस्तकें और 250 से अधिक पत्र प्रकाशित किए और फिश एंड फिशरी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
उनके निधन के बाद, उनके परिवार और छात्रों ने भारत के एक प्रख्यात मत्स्य वैज्ञानिक को सम्मानित करके उनकी विरासत को जारी रखने के लिए इस वार्षिक पुरस्कार की शुरुआत करने का फैसला किया। यह कार्यक्रम संयुक्त रूप से जोहल परिवार और प्रोफेसर जोहल के छात्रों द्वारा आयोजित किया गया था, जो क्षेत्र के प्रमुख विश्वविद्यालयों में बसे हुए हैं।
पुरस्कार समारोह से पहले प्रो. जोहल के जीवन और कार्य के बारे में वीडियो ब्रीफिंग का आयोजन किया गया था। परिवार उनकी विरासत को मनाने के लिए हर साल दो कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा है, जिनमें एक 16 सितंबर को, जो स्कूली बच्चों के लिए एक अकादमिक छात्रवृत्ति होगी, जबकि दूसरा 29 अप्रैल को उनकी जयंती के लिए समर्पित एमएस जोहल दिवस होगा।