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पैकेजिंग इंडस्ट्री में बादशाहत हासिल करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं प्रो0 डॉ बी के कर्ण

पैकेजिंग इंडस्ट्री को लेकर लगातार 24 घंटे तक बी के कर्ण ने किया वेबिनार का संचालन 

प्रो0 डॉ बी के कर्ण की उपलब्धियों पर मिथिला हो रहा गौरवान्वित

दृढ़ इच्छाशक्ति से सब कुछ संभव है : बी के कर्ण

सामाजिक जिम्मेदारियों का भी बखूबी निर्वहन करते हैं बी के कर्ण

बलौर, मनीगाछी (बिहार) में जन्मे 59 वर्षीय ब्रज कुमार कर्ण (बी के कर्ण) आज किसी परिचय के मोहताज़ नहीं हैं । अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने पैकेजिंग इंडस्ट्री में अपनी बादशाहत कायम की है । इस चमकते सितारे के कारण समस्त कायस्थ समाज या मिथिला क्षेत्र ही नही बल्कि सारा देश गौरवान्वित है क्योंकि इन्होंने अब इनका जादू विश्व के लगभग 170 देशों में चल चुका है । “दृढ़ इच्छाशक्ति के कारण हम कठिन से कठिन बाधाओं को पार कर सफलताओं की सीढ़ी चढ़ सकते हैं” इसी सोच के साथ बी के कर्ण लगातार सीढ़ी दर सीढ़ी आगे बढ़ते जा रहे हैं ।

1985 में जब IIP मुम्बई ने पैकेजिंग इंजीनियरिंग कोर्स की शुरुआत की तो इस प्रथम बैच में बिहार के एकमात्र छात्र के रूप में बी के कर्ण ने नामांकन लिया । अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद बी के कर्ण ने IIP दिल्ली में बतौर प्रशिक्षक सह विश्लेषक अपने कैरियर की शुरुआत की । बाद में इन्हें उसी संस्थान में सह निदेशक की भी जिम्मेदारी दी गई जिसका इन्होंने सफलतापूर्वक निर्वहन भी किया । IIP दिल्ली में इन्होनें 1987 से लेकर 2001 तक का सफर तय किया । 2001 में ही इन्हें उप निदेशक की जिम्मेदारी के साथ IIP कोलकाता भेजा गया । लगभग दो वर्षों तक ये कोलकाता में रहे । इसके बाद बी के कर्ण को क्षेत्रीय निदेशक के रूप में IIP हैदराबाद भेजा गया । हैदराबाद केंद्र की स्थापना का श्रेय भी इन्हें ही जाता है क्योंकि कर्ण जी को विशेष रूप से क्षेत्रीय निदेशक के रूप में इसी कार्य के लिए भेजा गया था । अब तक इन्होनें IIP के साथ साथ अन्य भी कई संस्थानों में पैकेजिंग इंडस्ट्री के प्रेरक के रूप में अपनी पहचान भी बना ली थी ।

अपने जीवन के 49 वें वर्ष में इन्होंने अपनी नौकरी से त्यागपत्र देते हुए 22 फरवरी, 2012 को “पैकेजिंग क्लीनिक एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट” के नाम से हैदराबाद में अपने संस्थान की स्थापना की । इस इंस्टिट्यूट द्वारा पीजी स्तर तक कि पढ़ाई के साथ साथ जाँच, प्रशिक्षण, कंसल्टेंसी इत्यादि की सुविधा उपलब्ध करवाई जा रही है ।

बी के कर्ण जी की उपलब्धियों को गिनाना बहुत मुश्किल है । IIT रुढ़की में 2014 से शुरू M.Tech. (पैकेजिंग) पाठ्यक्रम के वे फाउंडर एडवाइजर सह विजिटिंग प्रोफेसर हैं । बिहार विद्यापीठ के सहयोग से बिहार में इंस्टीट्यूट ऑफ पैकेजिंग नामक संयुक्त उपक्रम का भी संचालन इनके द्वारा किया जा रहा है । अनेक सोशल साइटों के माध्यम से विश्व के लाखों लोग इनसे जुड़कर सलाह व प्रशिक्षण ले रहे हैं ।

बी के कर्ण जी की रुचि साहित्य व काव्य के क्षेत्र में भी काफी रही है । उनकी कई रचनाओं को पाठकों / दर्शकों द्वारा काफी सराहा गया है । इन सबके साथ साथ उनकी कार्यक्रम संचालन की क्षमता भी अद्भुत है । उन्होंने दर्जनों ऑनलाइन / ऑफलाइन कार्यक्रमों का भी संचालन किया है ।

24 मार्च को वर्ल्ड पैकेजिंग डे के अवसर पर पैकेजिंग इंडस्ट्री को लेकर लगातार 24 घंटे तक बी के कर्ण जी द्वारा वेबिनार संचालित किया गया । वेबिनार के इतिहास में पहली बार लगातार 24 घंटे तक इस तरह आयोजन हुआ । दो दर्जन से अधिक देशों के प्रतिनिधियों ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया ।

काफी व्यस्तताओं के बावजूद भी बी के कर्ण जी कई सामाजिक संस्थाओं से जुड़कर समाज की भी लगातार सेवा करते आ रहे हैं । कर्ण कायस्थ महासभा सरीखे कई संस्थाओं में ये संस्थापक सदस्य या अन्य सदस्य के रूप में अपनी सेवा देते हुए समाज को लाभान्वित कर रहे हैं । इनकी उपलब्धियों पर सिर्फ इनके परिजनों को ही नहीं बल्कि इनके समाज, सम्पूर्ण मिथिला क्षेत्र अपने आपको गौरवान्वित महसूस करता है । News4all की समस्त टीम बहुमुखी प्रतिभा के धनी प्रोफेसर डॉ बी के कर्ण जी के उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है ।