चंडीगढ़/ वायु प्रदूषण के बढ़ते स्वास्थ्य प्रभावों पर चिंता व्यक्त करने के लिए नागरिक और डॉक्टर आए एक साथ
प्रशासन द्वारा लगातार डंपिंग ग्राउंड के आसपास के निवासियों को ठगा जा रहा है : मोना
चंडीगढ़ : पंजाब में बढ़ते वायु प्रदूषण के गंभीर स्वास्थ्य परिणामों पर जोर देने के लिए सीनियर हेल्थ प्रेक्टिशनर और डड्डूमाजरा डम्प यार्ड के पीडि़त कल चंडीगढ़ प्रेस क्लब में विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर एक हेल्थ एसेंबली में एकत्र हुए। इस दौरान इन विषयों पर खुल कर चर्चा की और इसके प्रभावों पर बात की गई।
क्लीन एयर पंजाब, वायु प्रदूषण के मुद्दे पर काम कर रहे संबंधित और चिंतित व्यक्तियों और संगठनों के गठबंधन ने इकोसिख, वॉरियर मॉम्स और लेट मी ब्रीद के साथ बैठक का आयोजन किया। वायु प्रदूषण पर इस बातचीत की योजना विश्व स्वास्थ्य दिवस के मौके पर बनाई गई थी, जो मेडिकल प्रोफेशनल्स को जागरूकता बढ़ाने और वायु प्रदूषण को तुरंत आधार पर कम करने के लिए काम करने के लिए एक साथ आने का अवसर प्रदान करती है।
डॉ. अमित कुमार मंडल (पल्मोनोलॉजिस्ट), सुप्रीत कौर, (प्रेसिडेंट, इकोसिख), मोना गारु (मेरी उड़ान, एनजीओ), दयाल कृष्णा (डंपिंग ग्राउंड ज्वाइंट एक्शन कमेटी डड्डूमाजरा) और समिता कौर (वॉरियर मॉम) पैनल में मौजूद उन लोगों में उन लोगों में शामिल थे, जिन्होंने वायू प्रदूषण को लेकर जागरूकता बढ़ाने और वायु गुणवत्ता को बेहतर करने के लिए तुरंत कार्रवाई की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया।
अमित कुमार मंडल, डायरेक्टर, पल्मोनोलॉजी, स्लीप एंड क्रिटिकल केयर, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली, जिन्होंने वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में बैठक में बात की, ने कहा कि वायु प्रदूषण हमारे युग के सबसे बड़े संकटों में से एक है, न केवल इसके प्रभाव के कारण हो रहा जलवायु परिवर्तन एक बड़ा संकट है, बल्कि बढ़ती रुग्णता और मृत्यु दर के कारण सार्वजनिक और व्यक्तिगत स्वास्थ्य पर इसके प्रभाव के कारण भी ये एक काफी बड़ा संकट बन चुका है। उन्होंने कहा कि ‘‘श्वसन संबंधी विकार जैसे क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी), अस्थमा और ब्रोंकियोलाइटिस, साथ ही फेफड़ों का कैंसर, हृदय संबंधी मामले, सेंट्रल नर्वस सिस्टम की शिथिलता और कई तरह के त्वचा रोग, सभी वायु प्रदूषण के प्रभावों के कारण होते हैं।’’
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए इकोसिख इंडिया की प्रेसिडेंट सुप्रीत कौर ने कहा कि ‘‘विश्व स्वास्थ्य दिवस हम सभी के लिए केवल सोचने के बजाय कार्रवाई शुरू करने का समय है। इसके साथ ही ये दिवस वायु प्रदूषण के खतरों से अपने स्वास्थ्य की रक्षा के लिए लोगों के नेटवर्क को मजबूत करने और सक्रिय रूप से काम करना शुरू करने के लिए एक जागृत कॉल है।’’
दशकों से एक विशाल समुदाय वायु प्रदूषण से सबसे बुरी तरह प्रभावित हुआ है, इसका उदाहरण देते हुए श्री दयाल कृष्ण, जो (डड्डूमाजरा) डंपिंग ग्राउंड ज्वाइंट एक्शन कमेटी का हिस्सा हैं, ने बताया कि चंडीगढ़ में डड्डूूमाजरा डम्प यार्ड के कारण होने वाला वायु प्रदूषण हमारे बुनियादी मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि आज यहां पर हालात ये हैं कि लोग टहलने के लिए बाहर नहीं जा सकते हैं, बच्चे पार्क में नहीं खेल सकते हैं और लोगों को बदबू और धुएं से बचने के लिए चौबीसों घंटे अपनी खिड़कियां बंद रखनी पड़ती हैं। इसके अलावा आस-पास रहने वाले प्रत्येक परिवार में कुछ सदस्य ऐसे हो चुके हैं जो अस्थमा, त्वचा की समस्याओं या सांस की तकलीफ से पीडि़त हैं।’’
एक अन्य एनजीओ, मेरी उड़ान की संस्थापक मोना गारू ने अपनी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि ‘‘वायु प्रदूषण डड्डूमाजरा के निवासियों का दम घोंट रहा है। आग लगने पर डंपिंग साइट के बगल में रहना भयानक है; हमारे फेफड़ों को ऐसा लगता है जैसे उनमें आग लगी हो। आमतौर पर इस प्रदूषण के कारण घर में कोई न कोई सदस्य अक्सर बीमार रहता है। किसी को घर बुलाना भी अपमानजनक है क्योंकि हर शाम सूरज ढलते ही बदबू और बढ़ जाती है। यह देखकर दुख होता है कि कोई भी हमारी समस्याओं के बारे में चिंतित नहीं है और न ही उनका समाधान किया जा रहा है।’’
डड्डूमाजरा के पैनलिस्टों के अनुसार लगातार गंध और धुएं के संपर्क में आने के कारण, आसपास रहने वाले लोग काफी गंभीर बीमारियों का शिकार हो चुके हैं। इन परिवारों के सदस्य सांस और त्वचा की गंभीर समस्याओं से पीडि़त हो चुके हैं और ऐसे रोगियों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
वॉरियर मॉम की समिता कौर ने कहा कि वे अपने आप को पिछले 25 वर्षों से चंडीगढ़ में रहकर वह डड्डूमाजरा के लोगों की स्थिति को नहीं देखने का दोषी मानती है। कौर ने कहा कि ‘‘घरों से हमारा कचरा उनके यार्ड में चला जाता है। यह डम्पसाइट विभिन्न बीमारियों के लिए एक प्रजनन स्थल है, अगर यहां पर कूड़े को ठीक से नहीं निपटाया गया तो यह कई सारे स्वास्थ्य मुद्दों की बाढ़ को जन्म देगा। इस मामले में गंभीरता से काम करने की जरूरत है।’’
पैनल ने सहमति व्यक्त की कि चंडीगढ़ के नागरिकों को एकजुट होकर आवाज उठानी होगी और स्वच्छ हवा प्राप्त करने की दिशा में काम करना होगा।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में वायु प्रदूषण पंजाब सहित कई राज्यों द्वारा सामना किए जा रहे सबसे बड़े और सबसे गंभीर पर्यावरणीय मुद्दों में से एक है। ऐसे में इस मुद्दे के खिलाफ लड़ाई पहले समाज के गरीब समुदायों के हितों की रक्षा जरूरी है, जिसमें निर्माण श्रमिक, छोटे कारखाने, रिक्शा चालक और सफाईकर्मी भी शामिल हैं। पंजाब के हर शहर को ठोस कचरा प्रबंधन में सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने की जरूरत है। कचरा बीनने वालों को समान हितधारक होना चाहिए, कचरा प्रबंधन विकेंद्रीकृत होना चाहिए, और कचरे को अलग किया जाना चाहिए और लैंडफिल में भेजे जाने के बजाय एक वेल्थ के रूप में माना जाना चाहिए। इसके साथ ही उस कचरे का कोई अन्य उपयोग किया जा सकता है।