मोहाली/ कैंसर थेरेपी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है साइकोलॉजिकल काउंसलिंग (मनोवैज्ञानिक परामर्श)
✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़
मोहाली : अधिकांश लोगों के लिए ‘कैंसर’ होने का पता चलना और उसका इलाज सबसे चुनौतीपूर्ण और भयानक अनुभव हो सकता है, फिर भले ही अधिकांश कैंसर घातक न हों। ये रोग न केवल शरीर को प्रभावित करता है, बल्कि किसी के भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य पर भी काफी अधिक प्रतिकूल प्रभाव डालता है। यह बात फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के डिपार्टमेंट ऑफ मेंटल हेल्थ के इम्पैनल्ड कंसल्टेंट डॉ. हरदीप सिंह ने कही। इस दौरान उन्होंने कैंसर के संकट से निपटने के लिए मेडिकल उपचार के विकल्पों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की।
डॉ. हरदीप सिंह ने बताया कि प्रारंभिक अवस्था में ही कैंसर की पहचान होने से इसके सफल उपचार की संभावना काफी अधिक बढ़ जाती है। इसके साथ ही मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति के लिए भी यही तथ्य सच है। यह अनुमान लगाया गया है कि सभी कैंसर रोगियों में से एक तिहाई की मानसिक स्वास्थ्य स्थिति सामान्य है, फिर भी केवल एक छोटा प्रतिशत ही इसकी रिपोर्ट करता है। एक बार कैंसर का पता चलने के बाद, लगभग हर रोगी दुख, इनकार, गुस्सा, निराशा, अवसाद और स्वीकृति के विभिन्न चरणों में से गुजरता है। यह महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक चरण का उचित रूप से समाधान किया जाए। इन परिस्थितियों को देखते हुए यह सलाह देने के लिए उपयुक्त प्रमाण हैं कि सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य कैंसर के उपचार के परिणाम में सुधार करता है।
उन्होंने कहा कि कभी-कभी, इस उपचार में दवा भी शामिल हो सकती है, हालांकि अधिकांश रोगियों को व्यक्तिगत परामर्श सत्रों (पर्सनल काउंसलिंग सेशंस) से लाभ होता है। कुछ रोगियों को विशेष चिकित्सा की आवश्यकता होती है जिसे कॉग्नेटिव बिहेवियर थेरेपी कहा जाता है। ग्रुप थेरेपी सेशंस भी हल्की-फुल्की मनोवैज्ञानिक स्थितियों को संबोधित करने का एक और तरीका है।
डॉ सिंह ने कहा कि कैंसर रोगियों को जीवन और इलाज को लेकर प्रेरित करने की आवश्यकता है क्योंकि सकारात्मक मानसिकता रखने से बीमारी से लडऩे में मदद मिलती है। मरीजों को शारीरिक रूप से सक्रिय रहना चाहिए और रोजाना सैर पर जाना चाहिए, संतुलित आहार खाना चाहिए, दोस्तों और परिवार के साथ संवाद करना चाहिए। बात करने से कैंसर से जुड़े डर या अन्य चिंताओं आदि को काफी हद तक कम करने में मदद मिलती है।