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चंडीगढ़/ हवा में महल बनाने जैसा है बजट 2022 : प्रेम गर्ग

चंडीगढ़ : हर साल सत्ताधारी पार्टी के नेता अपने वित्त मंत्रियों की पीठ थपथपाते रहे हैं और उम्मीद जताते रहे हैं कि हर साल बजट नाटकीय रूप से देश को वित्तीय महाशक्ति में बदल देगा। लेकिन बजट में किए गए बड़े-बड़े वादों के क्रियान्वयन का विमोचन करना किसी को याद नहीं रहता और सपने दिखाने की यह कवायद चलती रहती है। बजट 2022 की घोषणा कल वित्त मंत्री ने अब तक के सबसे छोटे भाषण में की। यह वेतनभोगी और मध्यम वर्ग के आय वर्ग के लिए भारी निराशा लेकर आया, जो आगामी राज्य चुनावों के मद्देनजर कर कटौती, कर स्लैब में वृद्धि आदि की उम्मीद कर रहा था। जनता कुछ कर लाभों के रूप में लॉलीपॉप की उम्मीद कर रही थी।

 

एक सकारात्मक नोट पर मैं सराहना करता हूं कि वितमंत्रि ने वोट बैंक की राजनीति के आगे घुटने नहीं टेके और ऐसा लगता है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए इको-सिस्टम के निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जैसा कि अपेक्षित था, वित् मंत्री ने स्टार्ट-अप और नई विनिर्माण इकाई के लिए कर योजनाओं के विस्तार की घोषणा की और डिजिटल मुद्रा और डिजिटल शिक्षा के लिए क्षेत्र भी खोला। डिजिटल विश्वविद्यालय की अवधारणा देश भर में बड़ी संख्या में छात्रों के लिए फायदेमंद साबित होगी, अगर इसे गंभीरता से लागू किया जाता है। कर चोरी पर अंकुश लगाने के लिए, बजट 2022 आयकर सर्च कार्यवाही के दौरान मिली अघोषित आय के संबंध में कठोर प्रावधान लेकर आया है। इसके अलावा अद्यतन आयकर रिटर्न की एक अवधारणा की भी घोषणा की गई है जो अब करदाता को 25% से 50% तक अतिरिक्त कर का भुगतान करके अद्यतन रिटर्न दाखिल करने की अनुमति देगा। नेशनल फेसलेस असेसमेंट सेंटर की शुरुआत करके आयकर विभाग में भ्रष्टाचार को कम करने पर भी ध्यान दिया गया है। इससे आयकर प्रक्रियाओं में पारदर्शिता लाने में काफी मदद मिलेगी।

 

क्रिप्टो मुद्राओं पर अर्जित आय पर 30% कर लगाने का वास्तविक प्रभाव केवल समय ही बताएगा। निवेश की गई बड़ी राशि को देखते हुए यह एक स्वागत योग्य कदम है। इसके अलावा, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा डिजिटल मुद्रा की घोषणा थोड़ा जोखिम भरा लगता है, देश में ब्लॉकचेन को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए बुनियादी ढांचे की कमी को देखते हुए।

 

कुल मिलाकर 2022 के बजट में हर साल की तरह हवा में कल्पनाशील महल बनाने की कोशिश मात्र लगती है। बजट को अच्छे प्रभावशाली तरीक़े देश के अगले 10 साल की ज़रूरतों को देखकर अगर पेश किया जाता तो ज़्यादा अच्छा होता।