सहरसा/ एक दिवसीय मातृ मृत्यु रिपोर्टिंग प्रशिक्षण सम्पन्न : सिविल सर्जन
केयर इंडिया के सहयोग से दिया गया प्रशिक्षण
समय पर एवं सटीक रिपोर्टिंग आवश्यक
प्रत्येक साल 2 प्रतिशत कमी लाने का लक्ष्य
सहरसा : स्वास्थ्य विभाग मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के लिए प्रयासरत है। इसी क्रम में मातृ एवं शिशु मृत्यु की सविर्लांस एवं रिपोर्टिंग को मजबूती प्रदान करने संबंधी एक दिवसीय प्रशिक्षण सह बैठक का आयोजन जिले के रेडक्राॅस सभागार में किया गया। सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार की उपस्थिति में आयोजित इस प्रशिक्षण में अपर चिकित्सा पदाधिकारी डा. किशोर कुमार मधुप, सदर अस्पताल सहरसा के उपाधीक्षक डा. एस. सी. विश्वास, जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्र्रबंधक विनय रंजन, जिला सामुदायिक उत्प्रेरक राहुल किशोर, जिला कार्यक्रम समन्वयक प्रणव कुमार, केयर इंडिया के डीटीएल रोहित रैना, जिले के सभी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक, केयर इंडिया के प्रखंड प्रबंधक सहित निजी स्वास्थ्य संस्थानों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। जिले में यह प्रशिक्षण केयर इंडिया के सहयोग से दिया गया।
सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार ने बताया अगर किसी गर्भवती महिला का प्रसव के दौरान या प्रसव के 42 दिनों के भीतर मृत्यु हो जाती है तो उसे मातृ मृत्यु माना जाता है। मातृ मृत्यु सामुदायिक एवं संस्थागत दोनों स्तरों पर होती है। सामुदायिक स्तर पर 15 से 49 वर्ष की महिलाओं की मातृ मृत्यु हो जाने पर इसकी प्रथम सूचिका आशा होती हैं, जो आशा के द्वारा एएनएम को दी जाती है या 104 नम्बर पर कॉल सेन्टर पर दे सकती हैं। एएनएम द्वारा उक्त मृत्यु का सत्यापन करते हुए अपना प्रतिवेदन प्रखंड स्तर पर स्वास्थ्य केन्द्र को उपलब्ध कराती हैं। प्रखंड स्तर पर समीक्षोपरान्त उक्त मातृ मृत्यु की पुष्टि की जाती है। जिसमें मातृ मृत्यु का उल्लेख भी रहता है। जिसके अध्ययन से मातृ मृत्यु के कारणों को दूर करते हुए इसमें काफी कमी लायी जा सकती है। इस प्रकार जिले में मातृ मृत्यु दर में कमी आये इसके लिए मातृ मृत्यु की रिपोर्टिंग समय पर और सटीक तरीके के किया जाना जरूरी है। इस प्रशिक्षण में राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार पटना की ओर से आये प्रशिक्षकों द्वारा रिपोर्टिंग के लिए बनाये गये सभी फार्मेटों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गयी।
राज्य स्वास्थ्य समिति बिहार पटना से आये डा. नलिनी कांत त्रिपाठी एवं केयर इंडिया के राज्य प्रतिनिधि जय किशन ने बताया मातृ मृत्यु दर में प्रत्येक वर्ष 2 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है। गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाऐं उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार द्वारा अन्य कई प्रकार के महत्वपूर्ण कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं। जैसे- एएनसी. पीएनसी, सुमन, जननी सुरक्षा योजना, प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान आदि। उक्त सभी कार्यक्रमों का उद्देश्य गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाऐं उपलब्ध कराना है जो हमारी नैतिक जिम्मेदारी भी है। उन्होंने बताया राज्य में प्रत्येक वर्ष 4600 माताओं की मृत्यु होती है। हम सजग होकर इसमें कमी ला सकते हैं। जिसके लिए इस प्रकार के सटीक रिपोर्टिंग की आवश्यकता होती है। रिपोर्टिंग के दौरान इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है कि मातृ मृत्यु के क्या कारण हैं? इस प्रकार से संधारित आंकड़ों के विश्लेषण से, जिन कारणों से मातृ मृत्यु हो रही है उनको दूर करने के उपाय सुनिश्चित करते हुए इसमें कमी लायी जा सकेगी।
मातृ मृत्यु के मुख्य कारण:
• परिवार के द्वारा समय पर निर्णय नहीं लेना
• अस्पताल ले जाने में देरी
• एंबुलेंस और ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं होना
• जागरूकता की कमी
• अस्पताल में समय पर इलाज नहीं मिलना
• प्रसव पूर्व तैयारी नहीं होना