सहरसा/ कोरोना के कारण अनाथ हुए बच्चों के लिए भेजे जाने वाले किट की गाड़ी को डीएम ने किया रवाना
15 बच्चों के लिए 22 किट किये गये रवाना
एक माह का राशन है एक किट में
सहरसा : वैश्विक महामारी कोरोना के दौरान अपने माता-पिता को खोकर अनाथ हो गये बच्चों के बीच समाज कल्याण विभाग एवं केयर इंडिया के सहयोग से राहत साम्रगी के किट को हरी झंडी दिखा जिलाधिकारी कौशल कुमार ने रवाना किया। ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जिनके माता, पिता या दोनों की मृत्यु इस महामारी के दौरान हो चुकी है। उनके जीवनयापन के आवश्यक खाद्य सामग्रियों की किट उनके घरों तक पहुंचाने के लिए आज वाहनों को रवाना किया गया। इस मौके पर सिविल सर्जन डा. अवधेश कुमार,जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक विनय रंजन, केयर इंडिया के डीटीएल रोहित रैना, आईसीडीएस के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी सहित अन्य लोग मौजूद थे।
जिलाधिकारी कौशल कुमार ने बताया कोरोना महामारी के दौरान जिले में अनाथ हो चुके 15 बच्चों के लिए आज समाज कल्याण विभाग एवं केयर इंडिया के सहयोग से तैयार की गई 22 किटों को रवाना किया गया है। कोरोना महामारी से अनाथ हो चुके बच्चों के लिए आगे भी इस प्रकार की सहायता मिलती रहेगी। सरकार एवं सहयोगी संस्थाओं द्वारा आने वाले समय में ऐसे बच्चों के लिए मदद मिलती रहेगी। जिले में अभी तक चिह्नित कुल 15 बच्चों के बीच आज यह किट पहुँच जाएगी। उन्होंने बताया कोरोना महामारी के दौरान ऐसे बहुत सारे बच्चे हैं जिन्होंने अपने माता, पिता या दोनों को खोया है। उनमें से बहुत से बच्चे ऐसे हैं जिनके जीवन यापन के लिए आवश्यक खाद्यान्नों की आवश्यकता है। इसके लिए केयर इंडिया द्वारा उन बच्चों का सर्वे करते हुए राहत सामग्री किट उपलब्ध करायी गई। उन्होने बताया जिन परिवार में 05 सदस्य हैं उन्हें एक किट तथा 05 से अधिक सदस्यों वाले परिवार के लिए 02 किट रवाना किया गया है। यह किट उन अनाथ हो चुके बच्चों के लिए मददगार साबित होगी। उन्होंने कहा आने वाले समय में कोरोना महामारी से अनाथ हुए बच्चों को सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के माध्यम से समाज की मुख्य धारा में लाने का प्रयास किया जाता रहेगा।
इस मौके पर केयर इंडिया के डीटीएल रोहित रैना ने बताया इस किट में एक माह का राशन जैसे- चावल, आटा, दाल, चना, चूड़ा, सुज्जी, सत्तु, सरसो तेल, चीनी, मसाला, साबुन, कपड़ा धोने का पावडर, चाॅकलेट, बिस्कुट आदि दिया गया है। उन्होंने बताया इसके लिए आंगनबाड़ी केन्द्रों द्वारा ऐसे परिवारों का सर्वे करते हुए चिह्नित किया गया था।