मोहाली/ महामारी के बीच फोर्टिस अस्पताल में 3,500 से अधिक हृदय रोगियों का हुआ इलाज
✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़
डॉक्टरों ने मरीजों में पोस्ट कोविड कार्डियक केयर के महत्व को समझने पर जोर दिया
कोविड आईसीयू में भर्ती लगभग 50 प्रतिशत रोगियों को हृदय रोग विशेषज्ञ की सलाह की थी आवश्यकता
मोहाली : महामारी के बीच, फोर्टिस अस्पताल ने 3,500 से अधिक हृदय रोगियों का भी इलाज किया है, जिनमें से कई को पहले से ही हृदय रोग की स्थिति थी या उन्हें कोविड से ठीक होने के बाद हृदय की देखभाल की आवश्यकता थी। डॉ.आर. के.जसवाल, डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी और कैथ लैब, फोर्टिस हॉस्पिटल, मोहाली के नेतृत्च में, कार्डियक इंटरवेंशन (कोविड के कारण हृदय की जटिलताओं का इलाज करने के लिए) जिसके परिणामस्वरूप अनुकूल परिणामों में लगभग 100 प्रतिशत सफल परिणाम देखे गए हैं। तीन रोगियों का उदाहरण लेते हुए, डॉ. जसवाल ने उन जोखिम कारकों और सावधानियों के बारे में विस्तार से बताया, जिन्हें वायरल संक्रमण और बाद में हृदय से जुड़ी जटिलताओं को रोकने के लिए कार्डियक और पोस्ट कोविड हृदय रोगियों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है।
श्री करमजीत सिंह, उम्र 68, मार्च 2021 में कोविड-19 के डायोग्नोसिस के बाद अस्थिर हार्ट बीट के साथ हॉस्पिटल में भर्ती किए गए थे। उसी समस्या पर नियंत्रण के लिए उनको एक अस्थायी पेसमेकर डाला गया था, हालांकि इसके बाद वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया (हार्ट रेट में बढ़ोतरी जो कि अचानक हृदय के काम करने के कारण मृत्यु का कारण बनती है)। उन्हें जीवन रक्षक इलेक्ट्रिक शॉक दिए गए और डिस्चार्ज के बाद सडन कार्डिक डेथ को रोकने के लिए एक ड्यूल चैम्बर ऑटोमेटेड इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर डिफाइब्रिलेटर (एआईसीडी) इंसर्शन से गुजरना पड़ा। सफल उपचार के बाद चार महीने पहले डिस्चार्ज होने के बाद से आज भी वे पूरी तरह से स्वस्थ हैं।
श्री राम लाल शर्मा, आयु 46, को मई 2021 में कोविड-19 से संक्रमित होने का पता चला था। डायग्नोसिस के बाद, उन्होंने सीने में भारीपन और सांस लेने में कठिनाई की शिकायत की। उनकी एंजियोग्राफी से पता चला कि उन्हें ‘क्रिटिकल सिंगल वेसल डिजीज’ है, जिसके लिए उनकी स्टेंटिंग की गई। उन्होंने पोस्ट-ऑपरेटिव अवधि में काफी अच्छी रिकवरी प्राप्त की और आज काफी अच्छे से अपनी जिंदगी जी रहे हैं।
डॉ. आर.के. जसवाल ने कहा कि ‘‘जैसा कि उपरोक्त केस स्टडीज के अध्ययन से पता चलता है, कोविड से संक्रमित होने वाले कई रोगियों को हृदय संबंधी बीमारियां होती हैं (खासकर यदि उनके पास पहले से मौजूद किसी हृदय रोग का लक्षण है)। जबकि इनमें से कुछ रोगों या समस्याओं को दवाओं के साथ स्थिर किया जा सकता है, जबकि एक महत्वपूर्ण हिस्सा गंभीर जटिलताओं को विकसित होते हुए देखता है। ऐसे मामलों में मरीज को सफल उपचार प्रदान करने के लिए उनको तुरंत आधार पर कोरोनरी एंजियोप्लास्टी, स्टेंटिंग, अस्थायी या स्थायी पेसमेकर इम्प्लांटेशन, और पेरीकार्डियल फ्लूइड एस्पिरेशन जैसे जीवन रक्षक हृदय संबंधी महत्वपूर्ण इंटरवेंशंस की आवश्यकता होती है।’’
डॉ.जसवाल ने कहा कि ‘‘इसलिए, यह जरूरी है कि कोविड और पोस्ट कोविड रोगी हृदय से जुड़ी जटिलताओं को विकसित करने से खुद को बचाने के लिए सावधानी बरतें। सीने में दर्द, डिस्पेनिया, धडक़न में तेज उतार-चढ़ाव, अत्यधिक पसीना, चक्कर, चक्कर आना, चेतना की क्षणिक हानि, सांस की तीव्र कमी और रात में भारी खांसी, चेहरे, पेट और पैरों पर सूजन, डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण काल्फ मसल्स में टेंडरनेस और पल्मोनरी एम्बोलिज्म के कारण सांस की गंभीर कमी कुछ चेतावनी के गंभीर संकेत हैं जिन पर रोगियों को तत्काल आधार पर ध्यान देना चाहिए।’’
वह कहते हैं कि ‘‘कोविड से संक्रमित होने से बचने का सुनहरा नियम अधिक से अधिक समय तक अपने घर पर ही बने रहना है और अगर किसी जरूरी काम के कारण बाहर जाना भी पड़ता है तो सभी लोगों से कम से कम छह फीट (सोशल डिस्टेंसिंग) का अंतर बनाए रखें। अच्छी फिटिंग वाला मास्क पहनें और बार-बार हाथ धोएं या सैनिटाइज करें। अपनी सभी निर्धारित हृदय दवाएं नियमित रूप से लें और सुनिश्चित करें कि वे पर्याप्त रूप से घर में स्टोर कर रखी हुई हैं। ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की दैनिक रीडिंग का भी रिकॉर्ड रखें। और याद रखें कि हाइड्रेटेड रहना भी जरूरी है और इसके लिए उचित मात्रा में पानी भी पिएं।’’