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चंडीगढ़/ हरियाणा के मुख्य सचिव ने नाबार्ड के ₹ 3.14 लाख करोड़ की ऋण संभाव्यता वाले स्टेट फोकस पेपर का किया विमोचन

चंडीगढ़ : नाबार्ड ने हरियाणा राज्य में प्राथमिकता क्षेत्र ऋण के तहत वर्ष 2025-26 के लिए रुपये 3.14 लाख करोड़ की ऋण संभाव्यता का आकलन किया है जो पिछले वर्ष की तुलना में 37.64% अधिक है। कृषि, एमएसएमई और शिक्षा व नवीकरणीय ऊर्जा आदि प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों के अंतर्गत ऋण संभाव्यता की हिस्सेदारी क्रमश 36%, 57% और 7% आकलित की गई है। नाबार्ड के स्टेट फोकस पेपर (एसएफपी) का विमोचन विवेक जोशी, आईएएस, मुख्य सचिव, हरियाणा सरकार द्वारा चंडीगढ़ में 30 जनवरी 2025 को आयोजित राज्य क्रेडिट सेमिनार के दौरान श्रीमती निवेदिता तिवारी, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड; बैंकों, राज्य सरकार और राज्य के उच्च शैक्षणिक संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों की उपस्थिति में किया गया ।

मुख्य सचिव ने राज्य के कृषि, एमएसएमई, निर्यात, शिक्षा, नवीकरणीय ऊर्जा आदि के तहत ऋण संभाव्यता का आकलन करने के लिए नाबार्ड के प्रयासों की सराहना की और बताया कि यह किसान कल्याण और ग्रामीण विकास के लिए सरकार की प्रतिबद्धता के अनुरूप है। सरकार राज्य में फसल विविधीकरण, जलवायु-अनुकूल कृषि, झींगा पालन और सब्जी क्लस्टरों को बढ़ावा देने पर जोर दे रही है। उन्होंने बैंकों, सरकारी विभागों, नाबार्ड, एसएलबीसी, शैक्षणिक संस्थानों और अन्य सभी हितधारकों से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए समन्वित प्रयास करने का आग्रह किया।

निवेदिता तिवारी, सीजीएम ने बताया कि नाबार्ड सभी हितधारकों से व्यापक विचार-विमर्श कर हरियाणा के प्रत्येक जिले के लिए ऋण संभाव्यतायुक्त योजना (पीएलपी) तैयार करता है। सभी 22 जिलों कि इन योजनाओं मे अनुमानित ऋण संभाव्यता का समेकन कर सम्पूर्ण राज्य के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के लिए कुल ₹ 3.14 लाख करोड़ की ऋण संभाव्यता का आंकलन किया है। नाबार्ड द्वारा सभी 22 जिलों के लिए तैयार की गई ऋण संभाव्यता को अग्रणी बैंकों द्वारा तैयार जिला ऋण योजना के साथ जोड़ने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया। हरियाणा के कृषि और ग्रामीण क्षेत्रों के सामने आने वाली कठिन चुनौतियों का समाधान करने और किसानों और ग्रामीणों को लाभान्वित करने वाले स्थायी समाधानों को बढ़ावा देने के लिए उन्होने नाबार्ड की प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होने कहा कि वित्तीय समावेशन प्रत्येक विकास पहल का केंद्रीय बिन्दु होता है। इसी दिशा में, विशेष रूप से प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) के कम्प्यूटरीकरण और ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल एटीएम और बिजनेस कॉरेस्पोंडेंट का विस्तार, डिजिटल साक्षरता और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच को बढ़ाने के लिए नाबार्ड, बैंकों के साथ मिलकर निरंतर प्रयास कर रहा है।

स्वयं सहायता समूहों के लिए विपणन के अवसरों को बढ़ाने के लिए, नाबार्ड ने एनआरएलएम के साथ एक समझौता किया है। इसी कड़ी में हरियाणा एसआरएलएम के साथ मिलकर नाबार्ड राज्य में एसएचजी उत्पादों के विपणन के लिए कई परियोजनाएं कार्यान्वित कर रहा है। इसके अलावा, नाबार्ड अपने कृषि क्षेत्र प्रोत्साहन फंड (एफएसपीएफ) के माध्यम से सतत कृषि को बढ़ावा दे रहा है और इस हेतु राज्य में अनेक पायलट परियोजनाओं का संचालन कर रहा है जैसे करनाल और कैथल में क्षारीय मिट्टी को उपजाऊ बनाने की परियोजना, करनाल में धान के स्थान पर खरीफ प्याज की खेती, हिसार में आईओटी आधारित लवणीय झींगा खेती और हिसार में रोबोटिक्स के माध्यम से बागवानी परियोजना आदि।
नाबार्ड अपने ग्रामीण आधार संरचना विकास फ़ंड (आरआईडीएफ) से हरियाणा में सौर पंप, सिंचाई, ग्रामीण सड़कों और भंडारण सुविधाओं जैसी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए ऋण सहायता प्रदान कर रहा है और इस प्रकार, नाबार्ड राज्य की ग्रामीण आधारसंरचना के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है ।

किसानों की आय बढ़ाने के लिए, बेहतर सौदेबाजी के माध्यम से कम कीमत पर खेती के लिए खाद, बीज, कीटनाशकों, आदि इनपुट की खरीद और ज्यादा कीमत पर कृषि उपज की बिक्री करने के उद्देश्य से नाबार्ड ने राज्य में 129 किसान उत्पादक संगठनों का गठन किया है। इसके अलावा, नाबार्ड ने दो गैर कृषि उत्पादक संगठनों – सुजनी क्राफ्ट एवं जयपुरी रजाई के निर्माण करने के लिए पलवल में बेलियन ओएफपीओ और पारंपरिक दरियों के निर्माण के लिए रायपुर रानी, पंचकुला में विरासत बैक टू रूट्स ओएफ़पीओ का भी गठन किया है। इन संगठनों उत्पादकों के माध्यम से किसान और कारीगर भारत सरकार और हरियाणा सरकार की विभिन्न योजनाओं का भी अधिक लाभ ले पा रहे हैं।
किसानों और ग्रामीणों की आय बढ़ाने और कृषि में जलवायु परिवर्तन की चिंताओं को दूर करने के उद्देश्य के साथ, सिंचाई प्रणाली, भंडारण और भंडारण सुविधाओं, सड़क और डिजिटल बुनियादी ढांचे में सुधार, फसल कटाई के बाद के नुकसान को कम करने, बाजार लिंकेज में सुधार, वित्तीय समावेशन के लिए नाबार्ड राज्य सरकार के साथ हरसंभव सहयोग करने के लिए सदैव प्रतिबद्ध है।

वर्ष 2025-26 के लिए ₹3.14 लाख करोड़ की ऋण संभाव्यता का उपयोग करने के लिए, कृषि, एमएसएमई, सामाजिक बुनियादी ढांचे और सतत ऊर्जा समाधानों के लिए सहायता और बढ़ाने की आवश्यकता है।