चंडीगढ़/ डॉ. प्रह्लाद दुग्गल ने आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना को लेकर ईएमसी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स पर लगाए कई गंभीर आरोप
पंजाब में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना में करोड़ों की धांधली करने वालों पर सरकार करे उचित कार्रवाई : डॉ. प्रहलाद दुग्गल
चंडीगढ़ : पंजाब की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना-आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना में करोड़ों रुपये के घोटाला का पर्दाफाश अमृतसर के ईएनटी डॉ. प्रह्लाद दुग्गल ने शुक्रवार को यहां चंडीगढ़ प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान किया, साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान और स्वास्थ्य मंत्री बलबीर सिंह से इस पर तत्काल कार्रवाई करने की अपील की।
प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए डॉ. प्रह्लाद दुग्गल ने आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना के तहत भर्ती हुए मरीजों से पवन अरोड़ा के नेतृत्व वाले ईएमसी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स द्वारा संचालित स्विफ्ट हॉस्पिटल, अमृतसर में कैशलेस स्कीम गैर-कानूनी ढंग से पैसे लेने और झूठी लैबोर्टरी रिपोर्टों के आधार पर बीमा कंपनियों से कलेम किए गए मामलों के चौंकाने वाले खुलासे किए। उन्होंने कहा कि ईएमसी ग्रुप ने उन मरीजों से पैसे लिए जिनका इलाज कैशलेस तरीके से किया जाना था और राज्य स्वास्थ्य एजेंसी से झूठे बिलों का दावा करने के लिए लैब से झूठी लैबोर्टरी रिपोर्ट तैयार करके पंजाब सरकार को करोड़ों रुपये का चूना लगाया। इन सभी तथ्यों की पुष्टि राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, पंजाब की धोखाधड़ी-रोधी इकाई द्वारा की गई है, जिसकी जांच टीम ने ईएमसी ग्रुप हॉस्पिटल को नकली लैबोर्टरी रिपोर्ट तैयार करते हुए रंगे हाथों पकड़ा है। पवन अरोड़ा ने एसएचए जांच टीम को अस्पताल का रिकॉर्ड सौंपने से इनकार कर दिया, जिसकी जांच ईएमसी अस्पताल अमृतसर में की गई थी और इसे एसएचए ने अपनी जांच रिपोर्ट में भी दर्ज किया था।
डॉ. दुग्गल ने कहा कि पंजाब में मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व वाली सरकार भ्रष्टाचारियों को जेल में डालने की बात कर रही है। लेकिन ये मामला साल 2022 में पंजाब सरकार के ध्यान में लाया गया था। इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी और मामले को दबाने की कोशिश की गयी।
उन्होंने आगे कहा कि, हालांकि, ”यह वास्तव में आश्चर्यजनक है कि पंजाब की प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल योजना को 2022 में खत्म कर दिया गया था। इसका कारण यह था कि बीमा कंपनी एसबीआई-जीआईसी ने अस्पतालों द्वारा किए गए भारी दावों के कारण पिछले भारी घाटे का हवाला देते हुए 25 फरवरी, 2022 से अपनी सेवाएं बंद कर दी थीं। वर्तमान में यह योजना राज्य स्वास्थ्य एजेंसी द्वारा ट्रस्ट मोड में संचालित की जा रही है।”
उन्होंने कहा, “कि लेकिन असली कारण यह है कि ईएमसी ग्रुप जैसे अस्पतालों ने अपने फायदे के लिए और गरीब मरीजों के इलाज की कीमत पर इस योजना का दुरुपयोग किया है। इतना ही नहीं, उनकी योजना से राष्ट्रीय और राज्य के खजाने को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ है, क्योंकि इस योजना को केंद्र और पंजाब सरकार ने संयुक्त रूप से 60:40 के अनुपात में फंड दिया गया था।”
डॉ. दुग्गल द्वारा स्विफ्ट हॉस्पिटल, अमृतसर में आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री सेहत बीमा योजना के तहत मरीजों से लिए गए नकद पैसों की प्रविष्टियों को प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्पष्ट रूप से दिखाया गया, जो कि 2022 से पहले तक पवन अरोड़ा के स्वामित्व वाले ईएमसी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स द्वारा चलाया जा रहा था। 2022 में डाॅ. दुग्गल द्वारा नकद प्रविष्टियों और फर्जी लैबोर्टरी रिपोर्टों का खुलासा करने के बाद पवन अरोड़ा ने स्विफ्ट अस्पताल का प्रबंधन छोड़ दिया।
डॉ. दुग्गल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान पवन अरोड़ा और उनकी टीम द्वारा सरकार से अवैध वित्तीय लाभ प्राप्त करने के लिए तैयार की गई फर्जी लैबोर्टरी रिपोर्टों के दस्तावेजी सबूत भी दिखाए। इन फर्जी लैबोर्टरी रिपोर्टों के आधार पर अस्पताल द्वारा किए गए दावों को बीमा कंपनी द्वारा जांच के दौरान भी पकड़ा गया और अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था और बाद में स्विफ्ट अस्पताल अमृतसर को स्वास्थ्य बीमा योजना से निलंबित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य बीमा योजना से निलंबित होने के बाद, पवन अरोड़ा ने पर्दाफाश होने के डर से स्विफ्ट अस्पताल के प्रबंधन से भागने की योजना बनानी शुरू कर दिया थी।
उन्होंने आगे कहा कि, “पवन अरोड़ा और उनका ईएमसी अस्पताल, अमृतसर भी कुख्यात फर्जी कोविड-19 रिपोर्ट घोटाले में भी आरोपी हैं और मामला माननीय पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। उन पर हत्या के प्रयास, जालसाजी और सरकारी दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ (एफआईआर नंबर 18 दिनांक 23.6.2020 अमृतसर) की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा चलाया जा रहा है।”
डॉ. दुग्गल ने कहा कि, ”जब मैंने पवन अरोड़ा से इन अनियमितताओं के बारे में बात की तो उन्होंने पहले मुझे धमकाने की कोशिश की और बाद में कई तरह से रिश्वत की पेशकश की। जब मुझे से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली, तो उन्होंने स्विफ्ट अस्पताल का प्रबंधन छोड़ दिया और अस्पताल के बीमा रिकॉर्ड से संबंधित दस्तावेज़ सौंपने से इनकार कर दिया। पैनल को मुझे स्थानांतरित करने के अनुरोध वाले मेरे ईमेल के जवाब में, उन्होंने उत्तर दिया, कि हम किसी भी पिछले मामले में हमारे बीच भविष्य में कोई विवाद न होने की स्पष्ट शर्त के अधीन आपकी फर्म को बीमा सूची हस्तांतरित कर सकते हैं, जो स्पष्ट तौर पर मुझे रिश्वत देने के समान है, कि अगर मैं इस पैनल को वापस लेना चाहता हूं तो इस मुद्दे पर बात न करूं।”
डॉ. दुग्गल ने इसे माफिया द्वारा अस्पताल चलाने का मामला बताया, जिसमें पवन अरोड़ा और उनके ईएमसी ग्रुप के अस्पतालों द्वारा सरकारी धन का दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि ईएमसी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की कार्यप्रणाली की उच्च स्तरीय जांच की जाए और अस्पताल के रिकॉर्ड का ऑडिट किया जाए। ऐसे शरारती तत्व चिकित्सा पेशे को बदनाम करते हैं क्योंकि अस्पताल चलाने वाले इन व्यापारियों को नैतिकता की कोई परवाह नहीं है। उन पर मुकदमा चलाया जाना चाहिए और पवन अरोड़ा के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री, राज्य स्वास्थ्य एजेंसी, डीजीपी और विजिलेंस पंजाब को शिकायतें भेजे हुए दो साल से अधिक समय हो गया है, लेकिन आज तक ईएमसी ग्रुप और उसके मालिक पवन अरोड़ा के खिलाफ कोई आपराधिक कार्रवाई नहीं की गई है। विजिलेंस ब्यूरो पंजाब ने दिनांक 30/8/2022 को एक पत्र के माध्यम से प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण पंजाब को ईएमसी ग्रुप के खिलाफ इस शिकायत की सतर्कता जांच के लिए स्पष्ट सिफारिश भेजने का अनुरोध किया है, लेकिन इस मामले में अभी तक कुछ नहीं किया गया है।
डॉ. दुग्गल ने कहा कि ईएमसी ग्रुप ऑफ हॉस्पिटल्स की कार्यप्रणाली की जांच से करोड़ों रुपये के घोटाले का खुलासा होगा क्योंकि इस ग्रुप के अस्पतालों द्वारा अन्य सरकारी योजनाओं में भी यही तरीका इस्तेमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं मुख्यमंत्री स. भगवंत सिंह मान और स्वास्थ्य मंत्री स. बलबीर सिंह से अपील करता हूं कि वे इस घोटाले की उच्च स्तरीय जांच का आदेश दें और जांच लंबित रहने तक ईएमसी ग्रुप के अस्पतालों को सभी सरकारी बीमा योजनाओं से डी-पैनल करें ताकि पंजाब की स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को इन धोखेबाज़ों से बचाया जा सके।