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चंडीगढ़/ आर्य समाज का वेद प्रचार सप्ताह के अंतर्गत श्रावणी पर्व धूमधाम से संपन्न

कर्म के बिना ज्ञान अधूरा : आचार्य योगेंद्र याज्ञिक

चंडीगढ़ : आर्य समाज, सेक्टर 7 बी में रविवार को वेद प्रचार सप्ताह के अन्तर्गत, श्रावणी पर्व धूमधाम सेे संपन्न हो गया हैैं। कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञ से हुआ। इस मौके पर वैदिक विद्वान आचार्य योगेन्द्र याज्ञिक ने प्रवचन के दौरान कहा कि जिसको सभा में बैठना आता है, वही सभ्य है। ईश्वर ने पूरी सृष्टि को बड़ा ही सुंदर बनाया है। ईश्वर ने सृष्टि के आरंभ में वेद का ज्ञान दिया। जिसमें ऋग्वेद का ज्ञान अग्नि ऋषि, यजुर्वेेद को वायु ऋषि, सामवेद को आदित्य ऋषि और अथर्ववेद को अंगिरा ऋषि के माध्यम से हमें दिया। ऋषियों ने यह ज्ञान ब्रह्मा को दिया। उन्होंने बताया कि ऋग्वेद में 5522 मंत्र हैं। ईश्वर ने ऋग्वेद में सारा ज्ञान भर दिया। कर्म के बिना ज्ञान अधूरा है। ज्ञान और कर्म में सामंजस्य के लिए साधना और उपासना अति आवश्यक है। विज्ञान भी इसकी विशिष्टता है। स्वाद भोजन करने तक तक ही रहता है। अच्छा भोजन करना मनुष्य का उद्देश्य है। महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने ऋषियों की परंपरा को आगे बढ़ाया। यह परंपरा परमपिता परमेश्वर से चलती आ रही है। ऋषियों ने वेद का ज्ञान ब्रह्मा जी को दिया और ब्रह्मा जी ने बृहस्पति को, बृहस्पति ने इंद्र को और इंद्र ने भारद्वाज ऋषि को। इसी कारण यह जैमिनी पर्यंत है। उन्होंने कहा कि जब धरती पर प्रलय आया तो केवल पृथु और मनु ही बचे। राजा पृथु ने इस पृथ्वी को रहने के योग्य बनाया। मनु ने चिंतन के माध्यम से वेद ज्ञान अर्थात विद्या का प्रचार -प्रसार करने का कार्य किया। उन्होंने वेद के आधार पर जीवन व्यवस्थित किया जिससे श्रेष्ठता उत्पन्न हुई। राम और लक्ष्मण ने रावण को उनके राज्य में घुसकर मारा।जिस देश में सही उपदेश नहीं होते हैं, वह देश धर्म की पराकाष्ठा से दूर हो जाता है। महर्षि दयानंद सरस्वती जी ने सच्चे की तलाश की। उन्होंने गुरु विरजानंद जी से शिक्षा लेकर संपूर्ण मानवता के लिए वेद अर्थात ज्ञान के दरवाजे खोले। उन्होंने ने कहा कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद का पढ़ना- पढ़ना सुनना- सुनाना, सब आर्यों का परम धर्म है।

आचार्य याज्ञिक ने कहा कि वेद के बिना न गति है और न ही मति है। पंडित भानु प्रकाश शास्त्री, भजनोपदेशक ने डूबतों को बचाने वाले, मेरी नैया है तेरे हवाले और आर्यों के तुम हो प्राण ऋषि दयानंद तुम्हारा क्या कहना आदि मधुर भजन प्रस्तुत किये। कार्यक्रम के दौरान विद्वानों को फूल- मालाओं और शॉल देकर सम्मानित किया। इस मौके पर भिन्न-भिन्न आर्य समाजों और डीएवी शिक्षण संस्थाओं से काफी संख्या में लोग उपस्थित थे।