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चंडीगढ़/ हमें गुरु तेग बहादुर द्वारा प्रचारित मानवीय जीवनशैली को अपनाना चाहिए : बनवारी लाल पुरोहित

✍️ मनोज शर्मा, चंडीगढ़

चंडीगढ़ : गुजरांवाला गुरु नानक खालसा कॉलेज,लुधियाना के प्रिंसिपल डॉ.अरविंदर सिंह भल्ला द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘श्री गुरु तेग बहादुर द सेवियर ऑफ डेमोक्रेटिक वैल्यूज’ का विमोचन कल पंजाब राजभवन, चंडीगढ़ में पंजाब के राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित द्वारा किया गया। इस पुस्तक में गुरु तेग बहादुर की शिक्षाएं, ईश्वरीय संदेश,अतुलनीय बलिदान और लोकतांत्रिक सरोकारों पर प्रकाश डाला गया है।

बनवारी लाल पुरोहित ने भारतीय संस्कृति,मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर द्वारा किए गए बलिदान को याद करते हुए यह विश्वास व्यक्त किया, कि सभी को गुरु तेग बहादुर द्वारा प्रचारित लोकतांत्रिक जीवन शैली को अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्तमान में गुरु तेग बहादुर की दिव्य शिक्षाओं, लोकतांत्रिक सरोकारों और अद्वितीय बलिदान से प्रेरणा लेने की बहुत जरूरत है। उन्होंने इस पुस्तक के लिए प्राचार्य डॉ. भल्ला को बधाई दी। उन्होंने डॉ.भल्ला के शोध कार्यों की सराहना की और कहा कि यह पुस्तक गुरु तेग बहादुर के जीवन, शिक्षाओं और सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से योगदान की गहन समझ हासिल करने में बहुत सहायक होगी।

इस अवसर पर भारत के अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एवं पर्व सांसद सत्य पाल जैन ने कहा है कि चार सौ साल पहले गुरु तेग बहादुर ने औरंगजेब की धार्मिक कट्टरता,राजनीतिक निरंकुशता और असहिष्णुता की नीति का कड़ा विरोध किया तथा लोगों को सभी की धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा के लिए अपने जीवन का बलिदान देकर अपने अधिकारों के लिए लड़़ने के लिए भी प्रेरित किया। जैन ने कहा कि डॉ.भल्ला की पुस्तक उन लोगों के लिए अविश्वसनीय रूप से मूल्यवान है जो सिख अध्ययन के क्षेत्र से निकटता से जुड़े हुए हैं तथा लोकतांत्रिक विचारों के प्रचार-प्रसार में श्री गुरु तेग बहादुर के योगदान को डॉ. भल्ला ने इस पुस्तक में उत्कृष्टता से चित्रित किया है।

अपनी पुस्तक के बारे में अपने विचार साझा करते हुए, डॉ. भल्ला ने उल्लेख किया कि सत्रहवीं शताब्दी में गुरु तेग बहादुर ने मुगल शासक औरंगजेब द्वारा अपनाई गई धार्मिक असहिष्णुता की नीति की कठोर निंदा की थी। गुरु तेग बहादुर ने न्याय, स्वतंत्रता, समानता, सामुदायिक एकता, मानवाधिकार और बहुसांस्कृतिक समाज के विचार की रक्षा के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया। उन्होंने आम जनता को लोकतांत्रिक आदर्शों और लोकतांत्रिक जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित किया। इसके अतिरिक्त, उन्होंने कहा कि गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं। वर्तमान परिस्थितियों के मद्देनजर श्री गुरु तेग बहादुर जी की शिक्षाओं को पूरे अंतरराष्ट्रीय समुदाय को अपनाना चाहिए।

आगे उन्होंने गुरु नानक देव विश्वविद्यालय,अमृतसर के पूर्व कुलपति डॉ. एस.पी. सिंह और हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय के चांसलर पद्मश्री डॉ. हरमोहिंदर सिंह बेदी से मिले समर्थन और मार्गदर्शन के लिए गहरा आभार व्यक्त किया। यहां यह उल्लेखनीय है, कि प्राचार्य डॉ. अरविंदर सिंह भल्ला अपने प्रशासनिक दायित्वों को निभाने के साथ -साथ शोध के प्रति भी पूरी तरह समर्पित हैं। अब तक अस्सी से अधिक शोध पत्र और पंद्रह पुस्तकें लिखने के अलावा, उन्होंने भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली (आईसीएसएसआर) द्वारा वित्त पोषित दो शोध परियोजनाओं को भी सफलतापूर्वक पूरा किया है।