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चंडीगढ़/ वॉर वेटरन्स के अपने ही बैच मेट ने दर्जनों के साथ किया लगभग आठ करोड़ की वित्तीय धोखाधड़ी

शिकायत दर्ज करवाने के बावजूद भी हो रही देरी के चलते पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा केस में जल्द कार्यवाही की मांग

चंडीगढ़ : भारतीय सेना के लगभग दो दर्जन से अधिक वॉर वेटरन्स सहित रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने आरोप लगाया है कि आफिसर ट्रेनिंग स्कूल, मद्रास (अब आफिसर ट्रेनिंग ऐकेडमी, चैन्नई) में उनके एक पूर्व बैचमेट ने लगभग आठ करोड़़ रुपये की वित्तीय धोखाधड़ी की है। चंडीगढ़ प्रेस कल्ब में आयोजित एक प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुये पीड़ित पार्टी की अगुवाई कर रहे ब्रिगेडियर पीएम आहलुवालिया ने बताया कि भारतीय सेना से रिलिव्ड हुये मेजर अमरजीत सिंह शाही बाद में यूपी पुलिस से भी बर्खास्त अधिकारी भी है और वर्तमान में सेक्टर 49 स्थित गोल्डन एन्क्लेव में रह रहे है। आरोपी ने मोतीलाल ओसवाल फाइनैंश्यिल सर्विसेज में 22 पूर्व रक्षा कर्मियों के निवेश का दुरुपयोग किया है।

मेजर प्रदीप भारतीय, कर्नल बीबी शर्मा, कर्नल विजय वासुदेव, कर्नल सोनिंदर सिंह, कर्नल बीएस हंसरा, कर्नल एसएस सैखों और कामाडोर बलवंत सिंह ने अपना दुखड़ा व्यकत करते हुआ कहा कि आरोपी के खिलाफ साल की शुरुआत में सेक्टर 17 स्थित चंडीगढ़ पुलिस की शाखा इकोनोमिक ओफेंस विंग में दर्ज शिकायत के बावजूद भी गंभीरता से निपटा नहीं गया है जोकि अब गहन चिंता का विषय है।

वॉर वेटरन्स ने आरोप लगाये कि शाही ने अपने ही साथियों से निवेश करवाई गई धनराशि का अपने स्वार्थ के लिये किया जिसमें उन्होंनें मोहाली स्थित ऐयरो सिटी में दो कनाल का प्लाट खरीदने के लिये जमा किये गये धन के साथ हेराफेरी की। पहले 2-3 साल तक उन्होंनें रिटर्न दिये लेकिन अगस्त 2022 में शाही ने बताया कि उनके पार्टनर लक्ष्मी नारायण शुुक्ला की कानपुर में एक सड़क दुर्घटना में मृत्यु के साथ निवेश कंपनी के खाते में कोई धन नहीं है जिससे सभी निवेशक अधर में लटक गये।

शाही के साथ लगभग आठ महीनो की नैगोश्यिेशन (बातचीत) के बाद पूर्व सैन्य अधिकारियों के आखिरकार अप्रैल और जून 2023 में चंडीगढ़ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंनें जांच मेें तेजी लाने के लिये वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों से भेट की । हलांकि जांच काफी धीमी थी और अक्तूबर 2023 में इस केस के आईओ सब इंस्पेक्टर अख्तर हुसैन को किसी आरोप में रिश्वत लेते हुये गिरफ्तार किया गया था। सभी को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि चंडीगढ़ पुलिस जानबूझकर इस केस पर धीमी गति से काम कर रही है जिसका कारण शाही की पुलिस का बैकग्राउंड है। मनी ट्रेल और उनके खातों के अनुसार शाही द्वारा की गई धोखाधड़ी के स्पष्ट सबूत के बावजूद जांच कोई नतीजा नहीं निकाल पाई। शाही के खिलाफ ऐसे ही कुछ अन्य शिकायतें कानपुर में भी दर्ज है।

ब्रिगेडियर पीएम आहलुवालिया ने शाही के आपराधिक रिकार्ड के बारे में विस्तार से बताते हुये कहा कि वह कानपुर में यूपी पुलिस में सर्कल आफिसर के पद पर तैनात था तो उन्हें एक नाबालिग लड़की के अपहरण और बालात्कार के आरोप में कानपुर कोर्ट द्वारा दोषी ठहराये जाने के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। 2014 में उन्हें दस वर्ष की सजा सुनाई गई परन्तु एक साल बाद उसे कोर्ट से जमानत मिल गई और वह चंडीगढ़ आ गया। यहां अपने पुराने बैचमेट्स से संपर्क स्थापित कर उसने अपनी इनवेस्टमेंट फर्म के बारे में अवगत करवाया और अच्छे रिटर्न का भरोसा दिलवाया जिसके चलते लगभग दो दर्जन पूर्व सैन्य कर्मी उस पर विश्वास कर बैठे और अपने संपति फंसा बैठे।

अब इन रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों ने मांग की है शाही के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो और जल्द से जल्द कार्यवाही हो जिससे की वे अपना फंसा हुआ धन दोबारा प्राप्त कर सके।