दरभंगा/ “पंचायती राज व्यवस्था में युवाओं की भागीदारी एवम निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका” विषय पर सेमिनार का हुआ आयोजन
मिथिला स्टूडेंट यूनियन के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में MLSM कॉलेज में हुआ आयोजन
दरभंगा : मिथिला स्टूडेंट यूनियन के जिलाध्यक्ष वीरेंद्र कुमार की अध्यक्षता में MLSM कॉलेज में रविवार को एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन का आयोजन किया गया, जिसका विषय था “पंचायती राज व्यवस्था में युवाओं की भागीदारी एवम निर्वाचित प्रतिनिधियों की भूमिका” । इस सेमिनार में मुख्य अतिथि के रूप में ऑल इंडिया पंचायत परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष वाल्मीकि प्रसाद सिंह , पूर्व राज्यसभा सांसद ब्रह्मदेव नारायण पासवान, डॉ मुकुल बिहारी वर्मा एसोसिएट प्रोफेसर एवं निवर्तमान राष्ट्रीय महासचिव गोपाल चौधरी उपस्थित थे। इस सेमिनार में दर्जनों छात्र – छात्राओं ने भाग किया। सेमिनार का संचालन वीरेंद्र कुमार ने तथा स्वागत भाषण विनय ठाकुर ने दिया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन अमन सक्सेना ने किया ।
वक्ताओं ने सेमिनार को संबोधित करते हुए कहा कि मिथिलावादी सोच के कट्टर युवाओं को पंचायती राज व्यवस्था के अग्रिम पंक्ति ने आना चाहिए। तभी जाकर महात्मा गांधी के ग्राम पंचायत का सपना साकार होगा। गांवों के विकास की योजनाएं उपलब्ध संसाधनों के जरिये लोगों की जरूरतों और प्राथमिकताओं के अनुरूप होनी चाहिए और इसमें उचित, समावेशी, पारदर्शी और सहभागिता-पूर्ण प्रक्रिया के आधार पर स्थानीय संसाधनों का उपयोग किया जाना चाहिए।लोकतांत्रिक विकेंद्रीकरण का अर्थ है कि शासन-सत्ता को एक स्थान पर केंद्रित करने के बजाय उसे स्थानीय स्तरों पर विभाजित किया जाए, ताकि आम आदमी की सत्ता में भागीदारी सुनिश्चित हो सके और वह अपने हितों व आवश्यकताओं के अनुरूप शासन-संचालन में अपना योगदान दे सके । मानना है कि ग्राम पंचायतों को प्रभावशील होने में तथा प्राचीन गौरव के अनुकूल होने में कुछ समय अवश्य लगेगा। यदि प्रारंभ में ही उनके हाथों में दण्डकारी शक्ति सौंप दी गई तो उसका अनुकूल प्रभाव पडऩेे के स्थान पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा इसलिये ग्राम पंचायतों को प्रारंभ में ही ऐसे अधिकार देने में सतर्कता आवश्यक है, जिसके कारण उनके अस्तित्व पर प्रश्नचिन्ह न लगे। पंचायत के सबसे महत्वपूर्ण काम रोजगार के मसले पर मनरेगा का लक्ष्य पूरा करने की हैं। मनरेगा में गड़बड़ी भी होती है। कई पंचायतों में पुस्तकालय और पालनाघर जैसी बुनियादी सुविधाएं तक नहीं हैं। अधिकतर पंचायत क्षेत्रों में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक नहीं है। इस संक्रमण (कोरोना) काल में भी सर्दी-ज़ुकाम या बुखार होने पर ग्रामीणों को 20 से 25 मील दूर पास के शहर जाना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं के लिए आज भी गांवों में प्रसूति की सुविधा नहीं है। थियेटर, संगीत, साहित्य, खेलकूद और हुनर विकास जैसे क्षेत्रों में पंचायत की सक्रियता या भागीदारी को तरसना पड़ता।
संक्रमण काल में जब गरीब परिवार, बच्चों की पढ़ाई के लिए महंगे एंड्रायड फोन और फोन कंपनियों के बिलों का बोझ नहीं उठा सकते, तब पंचायतों की एक बड़ी भूमिका ग्रामीण विद्यार्थियों के पठन-पाठन में हो सकती हैं, जहां शिक्षा को कम खर्च में सर्वसुलभ बनाया जा सकता है, लेकिन पंचायतों ने इस दिशा में कोई कार्य नहीं किया।
इस कार्यक्रम में केवटी मोहम्मदपुर केमौसम कुमारी और नेहा कुमारी को पंचायती राज व्यवस्था पर प्रदर्शनी हेतु प्रशस्ति पत्र एवं मेडल और मोमेंटो देकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डेढ़ दर्जन से अधिक छात्रों को प्रशस्ति पत्र भी दिया गया ।
इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से विद्या भूषण राय, नीरज क्रांतिकारी, अनीश चौधरी, नारायण मिश्रा, कृष्णमोहन झा, गौतम झा, उदय नारायण झा, राज पासवान, मुलायम यादव, किशन कुमार झा, मो इमरान, रुद्र कुमार, सौरभ कुमार, त्रिभुवन पांडेय, अमित मिश्रा, अविनाश साहनी, सुमित, रणधीर झा, शम्शी लाडले, अविनाश साहनी आदि उपस्थित थे।