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चंडीगढ़/ इमिग्रेशन सेवाओं को सुदृढ़ बनाने को लेकर डॉ अरविंद कुमार कादियान ने की प्रेसवार्ता

अन्य सेवाओं की भांति इमिग्रेशन के लिए भी सरकारों को नियामक संस्था गठित करनी चाहिए : डॉ. अरविंद कुमार कादियान

युवाओं को अनधिकृत इमिग्रेशन सलाहकारों के चंगुल से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चला रहे हैं डॉ. कादियान

चण्डीगढ़ : भारत में लोगों को विदेश भेजने के लिए इमिग्रेशन सेवाओं की कोई नीति या कानून अभी तक नहीं बना है, ना ही विदेश में आव्रजन पीआर स्टडी, वर्क वीजा, आगंतुक वीजा पर लोगों को भेजने के लिए कोई नियम बना है। केवल विदेश मंत्रालय ने कामगारों को विदेश में भेजने के लिए इंडियन माइग्रेशन एक्ट ही बनाया है। सरकार की इसी कमी का फायदा देश के विभिन्न हिस्सों में उठाया जा रहा है। यदि पंजाब, हरियाणा सहित देश के विभिन्न भागों की बात की जाए तो अब तक इमिग्रेशन के नाम पर करोड़ों रुपए की ठगी हो चुकी है। इसी तरह अवैध रूप से विदेश भेजने शरणार्थी के रूप में डोंकी वीजा के नाम पर चल रहे अवैध कारोबार में दर्जनों बच्चों की मौत हो चुकी है। यह जानकारी इमीग्रेशन कंसलटेंट डॉ. अरविंद कुमार कादियान आज चण्डीगढ़ प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में दी। डॉ. कादियान इस स्थिति से निपटने के लिए एक तरफ केंद्र व राज्य सरकारों से इमिग्रेशन एजेंटों के लिए अन्य सेवाओं की भांति नियामक संस्था गठित्त करने की मांग उठा रहे हैं, वहीँ आम जनता को भी इमिग्रेशन ठगी ठोरी से बचाने के लिए जागरूकता अभियान भी चला रहे हैं।

डॉ. कादियान, जो कनाडा सरकार की एजेंसी के द्वारा प्रमाणित और अधिकृत सलाहकार के साथ कैनेडियन एसोसिएशन ऑफ़ प्रोफेशनल इमीग्रेशन कंसल्टेंट्स के सदस्य हैं व आईसीईएफ द्वारा प्रमाणित अंतरराष्ट्रीय परामर्शदाता के साथ भर्तीकर्ता हैं, ने कहा कि कनाडा जाने से पहले इच्छुक युवा पहले यह सुनिश्चित करें कि जिस कंसलटेंट के पास आप जा रहे हो वह कनाडा सरकार के द्वारा अधिकृत परामर्शदाता भी है या नहीं। हालत ये है कि पूरे हरियाणा में उनके समेत केवल डॉ या तीन लोग ही हैं जो कनाडाई सरकार द्वारा पंजीकृत आव्रजन सलाहकार के रूप में अभ्यास कर रहे हैं।

डॉ. कादियान ने बताया कि उन्होंने इमिग्रेशन नीति के बारे में सूचना के अधिकार के अंतर्गत भारतीय विदेश मंत्रालय, हरियाणा गृह विभाग, डीजीपी हरियाणा के कार्यालय में जानकारी मांगने के लिए आरटीआई लगाई। अभी तक संतोषजनक जवाब नहीं मिला। जो जानकारी मिली उसके अनुसार अभी तक देश में उपरोक्त सेवाओं के रेगुलेशन के लिए कोई नीति नहीं बनी है। उन्होंने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि संबंधित विदेशी देशों की सरकार ही इमिग्रेशन का काम करने के लिए लाइसेंस देती हैं। विदेश मंत्रालय हरियाणा राज्य या देश के किसी भी हिस्से में इमीग्रेशन वीजा, स्टडी वीजा, विजिटर वीजा जैसी वीजा सेवाएं व परामर्श देने वाले एजेंटों को कोई लाइसेंस जारी नहीं करता है। केवल कामगार को भेजने के लिए ही एजेंसी को रजिस्टर्ड करने की ही व्यवस्था है। उन्होंने बताया कि आखिरकार इमिग्रेशन सेवाओं को चलाने के लिए अर्हता तय हो। जो भी इमिग्रेशन कंसल्टेंट संबंधित देशों से पंजीकृत हों, उन्हीं को इमिग्रेशन सेवाएं देने की इजाज़त दी जाए और इसकी सूची भारत सरकार जारी करे। इससे भ्रम समाप्त होगा। उन्होंने बताया कि अब तक वह संबंधित मंत्रालयों से जवाब मांग चुके हैं मगर किसी के पास जवाब नहीं है।
स्थिति की विडंबना यह है कि भारत में कोई भी संबंधित विदेशी सरकार द्वारा प्रमाणित (आव्रजन कानून/ अभ्यास परीक्षा उत्तीर्ण करने के बाद) बिना वीजा परामर्श/ आव्रजन एजेंसी शुरू कर सकता है। आईईएलटीएस और अन्य कोचिंग संस्थान हर जगह उग आए हैं, और वे संबंधित विदेशी सरकार/देश से किसी प्राधिकरण या लाइसेंस या प्रमाणीकरण के बिना वीजा आवेदन दाखिल करने की प्रक्रिया कर रहे हैं जो पूरी तरह से अवैध है। कानूनी शब्दावली में इन लोगों को अनधिकृत सलाहकार कहा जाता है। राज्य सरकारों को एक नीति बनानी चाहिए और नियमित करना चाहिए कि किसी को भी संबंधित विदेशी सरकार से लाइसेंस या प्रमाणन के बिना इमिग्रेशन सेवाएं देने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि निर्दोष लोगों और विशेष रूप से युवाओं को भूत सलाहकारों/अनधिकृत एजेंटों द्वारा की गई धोखाधड़ी से बचाने के लिए, राज्य सरकारों को नीति में निम्नलिखित बातों को शामिल करना चाहिए :

1. संबंधित विदेशी सरकार से लाइसेंस या प्रमाणन प्राप्त करना अनिवार्य बनाना।

2. हमारी सरकार को केवल यह आश्वस्त करना है कि संबंधित विदेशी राष्ट्र से लाइसेंस/प्रमाणन के बिना किसी को भी अभ्यास करने की अनुमति नहीं है।

3. कोचिंग पर लगाम लगाई जाए की उनका कार्य केवल कोचिंग देना है। वीजा सेवाएं देना उनका कार्य नहीं है। उनके . द्वारा वीजा सेवाएं इत्यादि की मार्केटिंग को तुरंत बंद किया जाए।