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पंचकूला/ भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय कार्यालय में हिन्दी कार्यशाला का किया गया आयोजन

पंचकूला : भारतीय खाद्य निगम के क्षेत्रीय कार्यालय में दिनांक 19.09.2023 को हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य प्रवक्ता के तौर पर पीजीजीसीजी- 42, चण्डीगढ़ के हिन्दी विभाग से सहायक आचार्य डॉ. संगम वर्मा को आमन्त्रित किया गया।

कार्यशाला का आरम्भ सर्वप्रथम सरस्वती पूजन और वन्दन के साथ किया गया। तदुपरांत मुख्य वक्ता डॉ संगम वर्मा का राजेश कुमार सिंह (उप- महाप्रबन्धक राजभाषा) के द्वारा पुष्प गुच्छ देकर अभिनन्दन किया गया। इसके बाद अर्जुन कुमार सिंह, उ.म.प्र. (क्षेत्र), जय प्रकाश, उ.म.प्र. (वित्त), सन्दीप सिंह, प्र.(राजभाषा), रवीन्द्र कुमार, स. (राजभाषा) आदि अधिकारियों ने अपने कार्यालय में हिन्दी के संवर्द्धन पर गहन विचार सामने रखे और अपने अनुभव साझा किए।

कार्यशाला का मुख्य विषय “हिन्दी भाषा के महत्त्व एवं राजभाषा के प्रयोग एवं वर्तमान् परिदृश्य में इसकी प्रासंगिकता” था। इस कार्यशाला का मुख्य ध्येय भारतीय खाद्य निगम के अधिकारियों/ कर्मचारियों में कामकाजी हिन्दी भाषा और उसके लेखन व पठन-पाठन के विस्तार को बढ़ाना था।मुख्य प्रवक्ता डॉ संगम वर्मा ने हिन्दी को लेकर ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के सन्दर्भों का हवाला देकर भूतकाल वर्तमान और भविष्य में हिन्दी और भाषा की अस्मिता पर अपने गहन विचार रखें। उन्होंने कहा कि हिन्दी भाषा पर लार्ड मैकॉले के समय में ही लोगों की मानसिकता पर कुठाराघात कर “बाँटों और राज्य करो” की नीति के चलते भारत में इसका पहला शिकार हुई थी भाषा। भले ही हिन्दी शब्द फ़ारसी भाषा का हो, किन्तु हिन्दी भाषा शत् प्रतिशत् भारतीय भाषा है, जिसने अनगिन अन्य भारतीय व अभारतीय भाषाओं के शब्दों को आत्मसात् किया है। हिन्दी अपने जन्म और कर्म दोनों ही रूपों में सामाजिक, सांस्कृतिक धार्मिक और भाषिक समन्वय और सौहार्द्र का प्रतीक रही है। इतिहास साक्षी है कि विविधता में एकता भारत का मूलभूत स्वरूप रहा है। हिन्दी उस सांस्कृतिक धरोहर, राष्ट्रीय एकता और सामाजिक सद्भाव की संवाहिका रही है क्योंकि सारी विभिन्न क्योंकि सारी विविधताओं को एक सूत्र में पिरोए रखने में यदि किसी एक कारक ने सर्वाधिक योगदान दिया है तो वह है हिन्दी।

आज भाषा के प्रयोग में सबसे ज़्यादा सहभागिता अनिवार्य है, जितना हमारी सहभागिता रहेगी उतना ही भाषा का विकास उन्नत हो सकेगा और यह सहभागिता हमारी निजी रुचि से ही कारगर होगी। हमें स्वयं के अहं को दरकिनार कर सरलीकरण पर आना होगा।हम सहज होंगे तब भाषा भी सहज रहेगी और हमें भाषा के दुरूहपन से निजात निजी रुचि से ही मिलेगी ।ज़्यादा साहित्य पढ़ा जाए और अनुवादित साहित्य को भी देखा जाए ।

कार्यशाला के अन्त में धन्यवाद ज्ञापन सुधीर कुमार सिंह, सहायक महाप्रबंधक (राजभाषा) ने किया। मंच संचालक की भूमिका सन्दीप सिंह, प्रबन्धक (राजभाषा) ने बख़ूबी निभायी।