सहरसा

सहरसा/ कला को निखारने के लिए कुशल प्रशिक्षक द्वारा प्रशिक्षण आवश्यक : मुकेश मिलन

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द गाइडर एकेडमी के विद्यार्थियों को उत्कृष्ट कला प्रदर्शन के लिए किया गया पुरस्कृत

 

निदेशक हिमांशु प्रणव निभा रहे हैं कुशल प्रशिक्षक की भूमिका

सहरसा : गुरुवार को स्थानीय विशनपुर सहरसा स्थित द गाइडर एकेडमी आवासीय सह शैक्षणिक संस्थान में पुरस्कार वितरण सामारोह का आयोजन किया गया । प्रसिद्ध संगीत शिक्षक व उदघोषक मुकेश मिलन एवं संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश कुमार दास ने फीता काटकर पुरस्कार वितरण सामारोह का उद्घाटन किया । सरस्वती पूजा के शुभ अवसर पर आयेजित किए सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने विद्यार्थियों को पुरस्कृत करने के लिए यह विशेष सामारोह आयोजित किया गया ।

अनेक गण्यमान्य लोगों व विद्यार्थियों के बीच अपने संबोधन में प्रसिद्ध संगीत शिक्षक व उद्घोषक मुकेश मिलन ने कहा कि किसी भी कला को निखारने के लिए कुशल प्रशिक्षक द्वारा प्रशिक्षण आवश्यक होता है । संस्थान के निदेशक हिमांशु प्रणव द्वारा दिए गए प्रशिक्षण की बदौलत सांस्कृतिक कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और आज वे पुरस्कृत हो रहे हैं । आगे उन्होंने कहा कि संस्थान की पूरी टीम जिस तरह से कोरोनकालीन परिस्थितियों में भी अपनी सेवा देती रही, यह काबिलेतारीफ है । आगे उन्होंने विद्यार्थियों के प्रतिभा की सराहना करते हुए कहा कि इनका प्रयास उन्हें भी उत्साहित है । अंत मे उन्होंने विद्यार्थियों व संस्थान के उज्ज्वल भविष्य की ईश्वर से कामना भी की ।

मौके पर अकादमी के निदेशक रक्तवीर हिमांशु प्रणव, मैनेजिंग डायरेक्टर राजेश कुमार दास, मशहूर गायक मनोज राजा, प्राचार्य निखिल कृष्ण, समाजसेवी राजकुमार यादव, रत्नेश कुमार, मनोज कुमार, अमरेंद्र कुमार, रिंकू देवी आदि अनेक गणमान्य लोग उपस्थित थे ।

पुरस्कृत विद्यार्थियों में प्रीति, लक्की, सोनू, यश, करिश्मा, रूपक, सौरभ, अमित आदि प्रमुख रहे जिन्हें उनके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए शील्ड व मेडल दिया गया ।

कार्यक्रम के अंत में निदेशक हिमांशु प्रणव ने उपस्थित सभी लोगों का आभार प्रकट करते हुए कहा उनलोगों की उपस्थिति से उनके उत्साह में कई गुणा वृद्धि हुई है । भविष्य में वे नई ऊर्जा व जोश के साथ अपना कार्य करते रहेंगे । ज्ञात हो हिमांशु प्रणव शिक्षण कार्य के साथ कई सामाजिक कार्यों में भी अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते रहते हैं । रक्तदान के कार्यों में वे खुद भी आगे रहते हैं और अन्य लोगों को भी रक्तदान के लिए प्रेरित करते रहते हैं । यही कारण है कि उन्हें “रक्तवीर” भी कहा जाता है ।


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