दरभंगा दिल्ली NCR बड़ी खबर राष्ट्रीय

दरभंगा/नई दिल्ली/ मैथिली अल्पसंख्यक बन गई है, इसे फिर से बहुसंख्यक बनाएं : डॉ. धनाकर ठाकुर

Spread the love

मैथिली दुनिया की अकेली ऐसी भाषा है जो अपने नेटिव क्षेत्र में ही अल्पसंख्यक बन गई है। इसे फिर से बहुसंख्यक भाषा बनानी है।“

उपर्युक्त बातें अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद् के प्रवक्ता डॉ. धनाकर ठाकुर ने मैथिली साहित्य महासभा (मैसाम), दिल्ली की ओर से ‘जनगणना में मैथिली’ विषय पर आयोजित वार्षिक संगोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में कहीं। इस संगोष्ठी का आयोजन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर सोमवार को ऑनलाइन माध्यम से किया गया।

डॉ. ठाकुर ने आगे कहा कि हमारी सभ्यता-संस्कृति तो बच गई, लेकिन हमारी मातृभाषा पर अत्याचार हुआ। उन्होंने अपने वक्तव्य में अनेक दशकों की जनगणनाओं में मैथिली विषय का विश्लेषण करते हुए कहा कि इस पर मंथन होना चाहिए कि हमारी संख्या क्यों घट गई। हमारी भाषा बड़ी थी, अब छोटी क्यों हो गई। उन्होंने आक्रोश प्रकट करते हुए कहा कि हमारा दुश्मन हम स्वयं हैं। सभी जिलों में अपनी सक्रियता के अनुभव के आधार पर डॉ. ठाकुर ने इस बात पर बल दिया कि सभी मैथिल संगठनों को अलग-अलग जिला एडॉप्ट करना चाहिए। व्यापक समाज को इस अभियान से जोड़ना चाहिए। पर्चा छपाना चाहिए और जनजागरण करना चाहिए। ध्यान रखनेवाली बात है कि लोकतंत्र में सिर गिने जाते हैं।

साहित्य अकादेमी की मैथिली परामर्शदात्री समिति के संयोजक डॉ. अशोक अविचल ने विशिष्ट वक्तव्य प्रस्तुत करते हुए कहा कि जनगणना में मैथिली विषय पर सभी मैथिल कार्यकर्ताओं को सुनियोजित योजना बनाकर समन्वयपूर्वक काम करने की आवश्यकता है। यदि इस तरह के प्रयास हुए तो राष्ट्रीय पटल पर कोई मैथिली की आवाज को दबा नहीं सकेगा।

भाषा अभियानी प्रीतम निषाद ने अपने वक्तव्य में कहा कि प्रत्येक मैथिल अपना धर्म-कर्तव्य निभाते हुए जनगणना में मातृभाषा मैथिली लिखाएं। उन्होंने कहा कि हम सभी को पाठशाला में मैथिली की पढ़ाई के लिए भी काम करना चाहिए। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. मंजर सुलेमान ने कहा कि मातृभाषा स्थानीय परिवेश से संबंधित होती है। जैसे केरल में रहनेवाले लोगों का मलयालम के प्रति अनुराग है, उसी तरह प्रत्येक मैथिल को मैथिली से अनुराग होना चाहिए। सभी मैथिलों की भाषा मैथिली है। उन्होंने कहा कि हमलोगों को जो अधिकार मिलना चाहिए था, वह नहीं मिल सका है। हम सब जनगणना में अपनी मातृभाषा मैथिली लिखाएं, दूसरी कोई अन्य भाषा नहीं। सुपरिचित साहित्यकार रीना चौधरी ने कहा कि हमलोगों को सजग रहना है। चैतन्य रहना है। जितनी हमारी जनसंख्या है उतने ही मैथिली भाषी होने चाहिए। मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश के कार्यकारी संपादक सच्चिदानंद सच्चू ने उदाहरण सहित अपनी बात रखते हुए कहा कि भाषा के बिना किसी क्षेत्र की परिकल्पना नहीं की जा सकती है। जब हम लोग चेतना संपन्न हो जाएंगे, तो मिथिला-मैथिली के विकास को कोई रोक नहीं सकेगा।

इस संगोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा ने कहा कि जनगणना में सभी मैथिलीभाषी मातृभाषा के कॉलम में अनिवार्य रूप से अपनी मातृभाषा मैथिली दर्ज कराएं।

इससे पूर्व गोष्ठी का शुभारंभ सुपरिचित गायिका सोनी चौधरी के भगवती वंदना गायन से हुआ। मैसाम अध्यक्ष सुनीत ठाकुर ने अपने स्वागत वक्तव्य में संस्था परिचय प्रस्तुत किया, साथ ही अतिथियों और श्रोताओं का स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन मैसाम के कार्यालय सचिव सूर्यनारायण यादव और संचालन मैसाम कार्यकारिणी सदस्य उज्ज्वल कुमार झा ने किया।


Spread the love