मुख्य रूप से हॉस्पिटल और मकानों के मुद्दे पर हुई बैठक
EWS कॉलोनी में सर्वे के मुद्दे पर भी पत्र सौंपा
मकानों की ऑनरशिप को खरीदारों के नाम किया जाए : आप पार्षद
चंडीगढ़ : वार्ड नंबर-15 से AAP काउंसिलर रामचंदर यादव, निगम में विपक्ष के लीडर योगेश ढींगरा ने यूटी प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित से मुलाकात की। धनास वार्ड नंबर -15 में बनने वाले हॉस्पिटल को लेकर प्रशासक को पत्र सौंपा। रामचंदर यादव ने बताया कि वार्ड नंबर- 15 (धनास EWS, सारंगपुर) में 50 बेड का हॉस्पिटल बनना है लेकिन बीजेपी के नेता अब अधिकारियों पर इस हॉस्पिटल को बीजेपी पार्षद के वॉर्ड में शिफ्ट करने का दबाव बना रहे हैं। वार्ड नंबर-15 के तहत आने वाले धनास EWS कॉलोनी के पास ही 50 बेड का हॉस्पिटल बनाया जाना है।लेकिन बीते दिनों बीजेपी पर ये आरोप लगे थे कि बीजेपी के काउंसिलर इसको अपने वॉर्ड में शिफ्ट कराना चाह रहे। नगर निगम की मीटिंग में भी इस मुद्दे ने जोर पकड़ा था और आप काउंसिलर रामचंदर यादव ने ये आरोप लगाया था कि एजेंडे पर वोटिंग नही कराई गई और मेयर ने इस एजेंडे को डेफर्ड कर दिया था। धनास की आबादी तकरीबन 50 हजार है और यहां हॉस्पिटल बनने से धनास, सारंगपुर, मिल्क कॉलोनी, डडूमाजरा सभी के लिए सहज होगा जबकि मौजूदा समय में लोगों को काफी मशक्कत उठानी पड़ती है। रामचंदर यादव ने कहा कि जनता की समस्या को ध्यान में रखते हुए इस मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए और हॉस्पिटल को धनास में ही बनाया जाना चाहिए। बीते दिनों ये भी आरोप लगे थे कि बीजेपी अपने जिस वार्ड में हॉस्पिटल को शिफ्ट करना चाह रही है वो जमीन पहले से ही गौशाला के लिए रिजर्व है। साथ ही वहां अवारा पशु घूमते रहते हैं। रामचंदर यादव ने प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित के सामने अपनी चिंता को जाहिर करते हुए ये मांग किया है कि हॉस्पिटल को वार्ड-15 जहां पहले से ही सर्वे किया गया था वहीं बनाया जाए।
इसके अलावा आप पार्षद ने हाउसिंग बोर्ड के सर्वे को लेकर भी प्रशासक को पत्र सौंपा और कहा कि EWS कॉलोनी में कुछ लोगों ने मकान को खरीदा है और वो लोग भी उसी कॉलोनी के लोग हैं और 10-15 सालों से रह रहे हैं जिन्हें किसी कारणवश मकान नही मिल सका। रामंचदर यादन ने कहा कि इन खरीददारों में बेहद गरीब तबके के लोग हैं और छोटे- मोटे दुकानदार हैं। जो मुश्किल से सेविंग्स करके 1 कमरे का मकान खरीद पाए हैं। रामचंदर यादव ने प्रशासक को पत्र सौपते हुए ये मांग किया है कि मकान की ऑनरशिप को खरीददार के नाम किया जाए। क्योंकि ये लोग भी हाउसिंग बोर्ड की किस्तों को चुका रहे हैं। लिहाजा इनके साथ सर्वे करके कैंसिल करना नाइंसाफी है।