चंडीगढ़

चंडीगढ़/ श्री महावीर मंदिर मुनि सभा (साधु आश्रम) में परम्परानुसार 56वां वार्षिक मूर्ति स्थापना समारोह हुआ संपन्न

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✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

कथा व्यास ने भक्ति रस सुनाकर श्रद्धालुओं को किया भाव विभोर

चंडीगढ़ (28 फरवरी) : सेक्टर 23 डी स्थित श्री महावीर मंदिर मुनि सभा (साधु आश्रम) में पूज्यपाद ब्रह्मलीन श्री सतगुरु देव श्रीश्री 108 श्री मुनि गौरवा नंद गिरि जी महाराज की प्ररेणा से परम्परानुसार 56वां वार्षिक मूर्ति स्थापना समारोह संपन्न हो गया।

समारोह के अंतिम दिन विधि विधान के साथ भगवान का पूजन-अर्चना व हवन किया गया और पूर्णाहुति के पश्चात समारोह को सम्पन्न किया गया। इस दौरान प्रधान दिलीप चंद गुप्ता, सांस्कृतिक सचिव पं. दीप भारद्वाज, उप प्रधान ओपी पाहवा, महासचिव एस आर कश्यप, कोषाध्यक्ष सुरेंद्र गुप्ता, कार्यालय सचिव नंदलाल शर्मा, ऑडिटर नरेश महाजन, अन्य सदस्यगण पंडित अरविंद शर्मा, पंडित चमनलाल व श्रद्धालु उपस्थित थे।

समारोह में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में कथा व्यास श्री हरिजी महाराज ने श्रद्धालुओं को बताया कि भगवान को प्राप्त करने के लिए भक्ति मार्ग को शास्त्रों में सर्वोत्तम मार्ग माना गया है। भक्ति के प्रभाव से ही जीव भगवान को पाने में समर्थ होता है।

कथा व्यास ने श्रद्धालुओं को श्रीकृष्ण सुदामा जी का संवाद का श्रवण कराते हुए बताया कि श्री कृष्ण और सुदामा जी की मित्रता उज्जैन में गुरु सांदीपनि ऋषि के आश्रम में हुई थी। सुदामा जी ने कभी भी भगवान से कुछ नहीं मांगा वह चाहते तो सब कुछ मांग सकते थे। भगवान उनके समीप थे परंतु फिर भी उन्होंने भगवान की विश्वास भाव से भक्ति की और अपना पूरा जीवन श्री कृष्ण भक्ति में लगा दिया। सच्ची मित्रता ही निस्वार्थ का मूल्य है। सच्ची मित्रता विनम्रता है। सुदामा कुछ मांगने नहीं बल्कि अपने प्रिय मित्र से भाव से जुड़ने गए थे निस्वार्थ भाव व प्रेम ही सच्ची मित्रता है।

इस अवसर पर सभा के प्रधान दलीप चंद गुप्ता ने इस आयोजन के सफल बनाने में सभा के सभी सदस्यों व श्रद्धालुओं का आभार जताया और कहा कि प्रति वर्ष यह आयोजन किया जाता है और भविष्य में भी हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा।

कथा के पश्चात् श्रीमद्भागवत भगवान की सामूहिक आरती की गयी , जिसके बाद श्रद्धालुओं को प्रसाद व भण्डारा वितरित किया गया।


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