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चंडीगढ़/ डॉ विनोद शर्मा के काव्य संग्रह “नई दिशाएँ” का हुआ विमोचन

संस्कारों व सामाजिक सरोकारों को दर्शाता है यह काव्य संग्रह

कविता ईश्वरीय वरदान है जो कवियों के दिल से निकलकर भ्रमित हुए लोगों का विद्या के प्रकाश से मार्गदर्शन करती है :  डाॅ शर्मा

चंडीगढ : नई दिशाएं नामक मेरे इस काव्य संग्रह में 93 कविताएं हैं जो कि ऊर्जा भरी जिंदगी के संस्कारों व सामाजिक सरोकारों को परिपूर्ण करती है। यह बात नई दिशाएं नामक काव्य संग्रह के साहित्यकार व कवि डाॅ विनोद कुमार शर्मा ने पुस्तक के विमोचन के दौरान कही। डाॅ विनोद की काव्य संग्रह पुस्तक का विमोचन शनिवार को गर्वंमेंट काॅलेज ऑफ़ एजुकेशन सेक्टर 20 में काॅलेज की प्रिंसीपल डाॅ सपना नंदा के कर कमलों से किया गया। इस दौरान उनके साथ विभिन्न साहित्यकारों में प्रेम विज, केके शारदा, सुशील हसरत नरेलवी, अशोक नादिर, विजय कपूर, लाजपत राय गर्ग, डॉ अनीश गर्ग,हरेंद्र सिन्हा , राजेश शर्मा, विमला गुगलानी, संतोष गुप्ता और नीलम त्रिखा भी उपस्थित थे।

डाॅ विनोद द्वारा लिखित नई दिशाएं तीसरा काव्य संग्रह है इससे पूर्व उन्होंने दो अन्य काव्य संग्रह बढ़ते कदम तथा शिखर की ओर बखूबी लिखा है। इन काव्य संग्रहों से उन्हें पाठकों से अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। काव्य संग्रह नई दिशाएं के बारें में बात करते हुए डाॅ विनोद ने बताया कि इह काव्य संग्रह में पाठकों को अलग अलग पहलुओं के माध्यम से समाज को नई दिशा मिलेगी जिससे प्रत्येक वर्ग लाभान्वित होगा। यह जीवन के दैनिक अनुभवों के आधार पर आशावादी कविताएं हैं। डॉ विनोद शर्मा ने बताया कि जब वह पंजाब विश्वविद्यालय के इवनिंग डिपार्टमेंट से अर्थशास्त्र में एमए कर थे, उस दौरान हिंदी विभाग की ओर से रचनाएं आमंत्रित की गई। जब वह रचनाएं हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष को देने गया तो उन्होंने प्रश्न किया कि यह क्या उनकी मौलिक रचनाएं है? यह प्रश्न सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मुझे लगा कि मैं सही दिशा की ओर बढ़ रहा हूं। मुझे हिंदी विभाग का विद्यार्थी संपादक बनाया गया। इसके पश्चात तो मेरी रचनाओं को एक नई दिशा मिलने लगी। मेरी रचनाएं समाचार पत्रों और पत्रिकाओं में प्रकाशित होने लगी। इसके पश्चात मैं अध्यापन और पत्रकारिता में इतना व्यस्त हो गया कि साहित्य के कार्यों को रोकना पड़ा परंतु एक दुर्घटना के पश्चात लेखन कार्य को आरंभ करना पड़ा। साहित्यकार प्रेम विज ने संवाद साहित्य मंच से जोड़ा। मैंने अपनी रचनाओं को इसके व्हाट्सएप ग्रुप पर शेयर करना शुरू कर दिया। इस ग्रुप से जुड़े सभी साहित्यकारों ने मेरी रचनाओं को खूब सराहा। जो साहित्यकार मुझे नहीं जानते थे उन्होंने व्हाट्सएप ग्रुप से नंबर लेकर मुझे कॉल भी किया। उनमें केदारनाथ केदार विशेष रूप से थे। कॉल पर उन्होंने प्रशंसा भरे शब्द कहे। जिसे मैं लेखन कार्य का प्रसाद मानता हूं।

रमेश कुंतल मेघ, डॉ कैलाश आहलूवालिया, डॉ चंद्र त्रिखा, प्रेम विज और ट्राइसिटी और देश-विदेश के अधिकतर कवियों ने रचनाओं को सराहा और मेरा मान बढ़ाया। उन्होंने बताया कि जीवन में काफी व्यस्तता है परंतु दिल में एक जुनून है, नहीं लिखूं तो चैन नहीं आता है। अब लेखन का कार्य मेरे जीवन का एक हिस्सा बन चुका है जिससे मैं चाह कर भी अलग नहीं हो सकता। समय अपने आप निकल आता है। यह नौकरी और गृहस्थ जीवन मैं अपने आप ही सामंजस्य उत्पन्न कर रहा है। रोज एक कविता लिखना मेरा पेशा बन चुका है।
प्रेम विज ने रचनाओं को एक सूत्र में पिरोकर पुस्तक रूप में लाने के लिए मेरा मार्गदर्शन किया। उन्होंने कई काव्य गोष्ठियों में बुलाकर लिखने और प्रस्तुति देने के लिए खूब प्रेरित किया। इन्हें मैं अपना साहित्यक गुरु भी मानता हूं। इन्हीं के कारण मेरा देश- विदेश में भी दायरा बढ़ा। मुझे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इंडोनेशिया, यूके, कनाडा यूएसए में मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि के साथ साथ रचनाओं की प्रस्तुति करने का मौका भी मिला। राष्ट्रीय स्तर पर भी मैं कई प्रांतों में अपनी प्रस्तुति दे चुका हूं।

उन्होंने बताया कि वे ऐसा अनुभव करता हूं कि जब लिखने बैठता हूं तो न जाने मन की गहराइयों से कैसे विचार प्रस्फुटित होने लगते हैं। मुझे लगता है कि लेखन कार्य मुझे ईश्वर के वरदान से कम नहीं लगता है। जब मैं कभी अपनी पुरानी कविताओं पर नजर दौड़ाता हूं तो देखता हूं कि ये विचार मेरे मन में आकर कैसे कलमबद्ध हो गए। बहुत से बुद्धिजीवियों ने मेरी रचनाओं को खूब सराहा है। मेरी सभी रचनाएं राजनीति से दूर हैं परंतु विद्यार्थियों चाहे वह स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय का हो उन्हें हमेशा संदेश देती है। सभी रचनाएं उच्च कोटि की हैं। इसी कारण मेरी पुस्तकें स्कूल, कॉलेज और विश्वविद्यालय में उपलब्ध हैं।

उन्होंने कहा कि साहित्यिक संस्थाएं साहित्य के क्षेत्र में विस्तृत भूमिका निभाती हैं। भिन्न-भिन्न कार्यक्रमों का आयोजन करके लेखन कार्य को बढ़ावा मिलता है। नवोदित कवियों को नई दिशा मिलती है। यह संस्थाएं साहित्य के क्षेत्र को सुदृढ़ बनाती है। इससे साहित्य की गुणवत्ता बढ़ती है। नित नए शोध होते हैं। लोगों को नए विचार पढ़ने को मिलते हैं। नए रचनाकारों को संदेश देते हुए कहा कि वे रोज सोच विचार कर कुछ न कुछ लिखते रहें। उन विषयों को जरूर छुए जिन पर अभी तक लोगों की नजर नहीं गई है अर्थात अछूते रह गए हैं। सोच विचार कर लिखें और हृदय की गहराइयों से लिखें। आपका लिखा हुआ अवश्य ही लोगों के जीवन में सार्थक परिवर्तन लाएगा। डॉ विनोद शर्मा ने कहा कि साहित्य मेरे जीवन का हिस्सा है। जिस तरह मैं रोज शरीर को स्वस्थ रखने के लिए भोजन करता हूं उसी तरह समाज में सौहार्द का वातावरण बनाए रखने के लिए उच्च कोटि की रचनाएं लिखता रहूंगा। अच्छे विचारों को लोगों के समक्ष लाता रहूंगा।