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कविता/ संविधान पर दो शब्द

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सुनो देश के प्रिय बन्धु
दिल खोलकर गर्व से बोलो
भारत देश के हम हैं वंदे
नहीं कोई कष्ट है बोलो

जबतक तिरंगा हाथ में है
हृदय से बोलो भारतीय हैं हम
खुशी का समय आ गया वंदे
विशाल देश का नागरिक हैं हम

दुनिया के संविधान से समझो वंदे
यहाँ का संविधान है सबसे अच्छा
बहुत सोच समझकर बना है
शब्द का अर्थ है सबसे सच्चा

दुनिया के लोग करते हैं तारीफ
संविधान को समझना जरुरी है
श्रेय जाता बाबासाहेब अम्बेदकर को
डाॅ०राजेन्द्र प्र० का योगदान प्रबल है

भारत – पाक स्वतंत्र हुआ
समय दोनों का एक ही है
कटोरा पाक अब गया गर्त में
नामोनिशान मिटने वाला है

भारत का विश्व में डंका बजता
कारण “मोदी जी” का शासन है
संविधान यहाँ का है मूल मंत्र
दुनिया इसे देख अचंभित है

भारतीय संविधान पलटकर देखो
395 – अनुच्छेद परिलक्षित है
जटिल प्रश्नों का खुलकर है विवेचन
12अनुसुचि,२5 भागों में विभाजित है

यह सभा से 26/11/1949 को पारित
26/01/1950 से भारत में प्रभावी है
जनता तो गणतंत्र का दुहाई देता
देखो लोग कितना खुशहाल है

केन्द्रीय कार्यपालिका प्रमुख को पहचानों
राष्ट्रपति कार्यपालिका का प्रमुख होता है
संशोधन के लिए 127 बिल आ चुके
अब तक 105 बिल संशोधन हो गया है

संविधान लिखने वाले 299 सदस्य थे
26/11/1949 को यह सम्पूर्ण हुआ
अध्यक्ष डाॅ० राजेन्द्र प्रसाद महान थे
26/01/1950 को यह लागू हुआ

इस संविधान को भलीभाँति समझों
भारत देश का यह प्रमुख दस्तावेज है
तैयारी में 2वर्ष 11माँह 18 दिन लगा
देखो कितना विशालकाय संविधान है

इस याद में सभी भारतीय खुश हैं
गणतंत्र दिवस खुशी से मनाएं जातें हैं
कवि ” सुरेश कंठ ” का उच्च मनोबल
पूरा देश में झंडा फहराये जाते हैं ।।

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