सुपौल/ सदर अस्पताल में 50 करोड़ की लागत से बनेगा 75 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक – News4 All

News4 All

Latest Online Breaking News

सुपौल/ सदर अस्पताल में 50 करोड़ की लागत से बनेगा 75 बेड का क्रिटिकल केयर ब्लॉक

😊 Please Share This News 😊

स्थापित किया जाएगा इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी

मौजूदा एवं उभरते संक्रामक रोगों की रोकथाम, नियंत्रण एवं प्रबंधन जरूरी

सुपौल : आयुष्मान भारत स्वास्थ्य मिशन के तहत सरकार द्वारा राज्य के सभी जिलों के सदर अस्पतालों में क्रिटिकल केयर ब्लॉक एवं इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी का निर्माण कराया जाना है। सदर अस्पताल सुपौल में इसके निर्माण के लिए स्थल निरीक्षण का कार्य एम्स पटना एवं स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था जपाइगो की संयुक्त दल द्वारा बीते सोमवार को किया गया। जिला स्वास्थ्य प्रबंधक, सुपौल मो0 मिन्नतुल्लाह से मिलने आये दल में समरीन अब्बासी, अनुभूति, ममता भट्ट, यूसुफ एवं डा. अश्विन कुमार शामिल थे। निरीक्षण कार्य पश्चात शीघ्र ही इसका प्रतिवेदन राज्य सरकार को सौंपी जाएगी। जिला अस्पताल सुपौल प्रशासन द्वारा स्थल चिह्नित करवा दिया गया है जहां 50 करोड़ की लागत से 75 बेड का सघन उपचार केन्द्र (क्रिटिकल केयर सेन्टर) स्थापित किया जाएगा।

निरीक्षण के लिए आये एम्स पटना के डा. अश्विन कुमार ने बताया राज्य सहित देश गैर-संचारी रोगों के प्रसार के साथ-साथ उभरते संक्रामक रोगों के बोझ का सामना कर रहा है। संचारी रोगों और अन्य उभरते संक्रमणों (जैसे कोविड-19) के कारण होने वाली मृत्यु दर और विकलांगता मानव जीवन और देश के आर्थिक विकास को प्रतिकूल प्रभावित कर रही है। ऐसे में प्रभावी स्वास्थ्य देखभाल समाधान विकसित करने की आवश्यकता है जो न केवल एचआईवी, टीबी और मलेरिया जैसी मौजूदा बीमारियों के नियंत्रण को बढ़ावा दे, बल्कि उभरते संक्रामक रोगों और मानव स्वास्थ्य के लिए खतरों का प्रभावी ढंग से पता लगाने, रोकथाम, नियंत्रण और प्रबंधन के लिए भी तैयार हो। साथ ही यह लागत प्रभावी और कुशल स्वास्थ्य देखभाल निदान और वितरण तंत्र की पहचान करने की ओर भी इशारा करता है।

डा. अश्विन कुमार ने बताया स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से निपटने के लिए एक प्रभावी प्रयोगशाला प्रणाली स्थापित करना जरूरी है जो रोगी देखभाल और समग्र स्वास्थ्य परिणामों पर अधिकतम प्रभाव के लिए तीव्र, विश्वसनीय और सटीक परीक्षण परिणाम प्रदान करना सुनिश्चित करती हो। इसमें रोग-विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए निदान प्रदान करने और गुणवत्ता सुनिश्चित प्रयोगशाला डेटा द्वारा समर्थित स्वास्थ्य निगरानी को एकीकृत करने के लिए स्वास्थ्य देखभाल के विभिन्न स्तरों पर एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं का एक नेटवर्क स्थापित करना भी शामिल है। ऐसी प्रयोगशालाओं का एपिक-सेंटर ऊपर और नीचे की ओर परिभाषित लिंकेज वाला जिला होगा। यह दिशानिर्देश जिला अस्पतालों में एकीकृत सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रयोगशालाओं की स्थापना पर केंद्रित है। इंटीग्रेटेड पब्लिक हेल्थ लेबोरेटरी (आईपीएचएल) शब्द एक ऐसी प्रयोगशाला तक फैला हुआ है, जो संक्रामक रोग निदान सहित अन्य नैदानिक सेवाओं जैसे हेमेटोलॉजी, क्लिनिकल बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, वायरोलॉजी और पैथोलॉजी सहित व्यापक प्रयोगशाला सेवाएं एक छतरी के नीचे प्रदान करती है। आईपीएचएल के विकास में जिला अस्पताल प्रयोगशालाओं के विभिन्न वर्गों का भौतिक, कार्यात्मक और डेटा एकीकरण शामिल होगा।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

Donate Now

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!