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सुपौल/ रैबीज : समय पर और उचित उपचार जरूरी

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घरेलु व बेसहारा जानवरों के अनावश्यक सम्पर्क से बचें

लोगों के बीच रैबीज के प्रति जागरूकता फैलायी जाये

 

सुपौल : पालतु व बेसहारा जानवरों के काटने से होने वाला रोग रैबीज पूर्णतः ठीक हो सकने वाला रोग है, किन्तु इसके लिए समय पर और उचित उपाचार जरूरी है। गर्म खून वाले जानवरों के काटने से होने वाली इस बीमारी के लक्षण उजागर होने पर इसका इलाज संभव नहीं है। क्योंकि इसके लक्षण मरीजों में बीमारी के अंतिम चरण में दिखाई पड़ते हैं जिसका उपचार नहीं किया जा सकता है। इसलिए इससे बचने के उपायों का अपनाना ही इसके रोकथाम का एकमात्र कारगर उपाय है। इसके लिए जरूरी है कि लोगों के बीच रैबीज के प्रति जागरूकता फैलायी जाये।

जिला गैर संचारी रोग पदाधिकारी डा. चंदन कुमार ने बताया रैबीज एक जानलेवा बीमारी है किन्तु इसका समय पर और उचित इलाज कर बचा जा सकता है। यह बीमारी बेसहरा एवं घरेलू जानवरों के काटने से होता है। किस जानवर के काटने से रैबीज हो सकता है इसकी जानकारी हमें तब तक नहीं हो सकती है जब तक कि उसकी प्रयोगशाला में जांच न करायी जाय। हालांकि, रैबीज वाले जानवर अजीब तरह के व्यवहार कर सकते हैं। कुछ आक्रामक हो सकते हैं और लोगों को या अन्य जानवरों को काटने की कोशिश कर सकते , या वे सामान्य से अधिक लार कर सकते हैं। किन्तु ऐसा करना संभव नहीं कि सभी जानवरों की रैबीज जांच की जाय। इसलिए इससे बचने के उपायों को ही अपनाना जरूरी है। रैबीज से बचने का सबसे आसान उपाय यह है कि पालतु व बेसहारा जानवरों के सम्पर्क से बचा जाय, खासकर बच्चों को विशेष तौर पर ऐसा करने से रोकें। पागल बिल्ली, बंदर, नेवला, सियार और अन्य गर्म खून वाले जानवरों के काटने से भी रोग फैल सकता है। अपने घरेलू कुत्तों के साथ-साथ बेसहारा कुत्तों को रैबीज का टीका अवश्य लगवायें।

पालतु या बेसहारा कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर लापरवाही न करें। यदि उनके काटने के हल्के निशान भी दिखाई पड़ रहें तो उसे तुरन्त बहते पानी एवं साबुन से धोयें, उपलब्ध एण्टीबायटिक क्रीम लगाएं एवं एंटी रैबीज टीके जरूर लगवायें। ये एंटी रैबीज टीके सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध रहते हैं। अंधविश्वास या झाड़फूक से बचें। रैबीज एक जानलेवा बीमारी है, इसके बारे में कम जानकारी और ज्यादा घातक साबित होती है। यह आमधारणा है कि रैबीज केवल कुत्तों के काटने से होता, किन्तु कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से रैबीज के वायरस मानव शरीर में जा सकते हैं। कटे अंगों का पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी यह रोग फैल सकता है।

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