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कविता/ सनातन धर्म संस्कृति की ये जान

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देवी दुर्गा के हैं नौ रूप आइये जानें।
शैलपुत्री ब्रह्मचारिणी चंद्रघंटा मानें।

कुष्मांडा स्कंदमाता कात्यायिनी भी।
कालरात्रि महागौरी व सिद्धिदात्री भी।

दस दिशाएं हैं रखिये सदैव ये ख्याल।
पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण एवं ईशान।

नैऋत्य वायव्य अग्नि और आकाश।
अंतिम दिशा दसवीं को कहें पाताल।

ईश्वर के मुख्य रूप से हैं 11अवतार।
मत्स्य कश्यप वराह नरसिंह व वामन।

परशुराम श्रीराम कृष्ण और बलराम।
दसवें बुद्ध व ग्यारवें कल्कि अवतार।

विक्रम सम्वत में होता है बारह मास।
चैत्र वैशाख ज्येष्ठ अषाढ़ सावन भाद्र।

अश्विन कार्तिक मार्गशीर्ष और पौष।
ग्यारवाँ माह माघ बारवां है ये फागुन।

इसी तरह राशियां भी कुल 12 होती।
मेष वृषभ मिथुन कर्क सिंह व कन्या।

तुला वृश्चिक धनु मकर कुम्भ व मीन।
इन राशियों में से ही सब की है होती।

बारह ज्योतिर्लिंगों को भी आएं जानें।
सोमनाथ मल्लिकार्जुन व महाकाल।

ओंमकारेश्वर बैजनाथ और रामेश्वरम।
विश्वनाथ त्रयंबकेश्वर और केदारनाथ।

घुश्मेश्वर भीमाशंकर बारहवां नागेश्वर।
इन बारह ज्योतिर्लिंगों में भोला ईश्वर।

हर माह में 15-15 तिथियों के पाख।
प्रतिपदा द्वितीया तृतीया एवं चतुर्थी।

पंचमी षष्ठी सप्तमी अष्टमी व नवमी।
दशमी एकादशी द्वादशी व त्रयोदशी।

चतुर्दशी के बाद एक पक्ष में पूर्णिमा।
चतुर्दशी बाद एक पक्ष में अमावस्या।

स्मृतियां भी होतीहैं आइये इन्हें जानें।
मनु विष्णु अत्री हारीत व याज्ञवल्क्य।

उशना अंगीरा यम आपस्तम्ब सर्वत।
कात्यायन ब्रहस्पति पराशर व व्यास।

शांख्य लिखित दक्ष शातातप वशिष्ठ।
यही हैं कुल स्मृतियां ये सब विशिष्ट।

भारतीय सभ्यता संस्कृति की जान।
सनातन हिन्दू धर्म की ये है पहचान।

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