स्वास्थ्य/ मनोभ्रंश से प्रभावित लगभग 70-80 फीसदी लोग अल्जाइमर रोग से पीडि़त हैं : डॉ सिंह – News4 All

News4 All

Latest Online Breaking News

स्वास्थ्य/ मनोभ्रंश से प्रभावित लगभग 70-80 फीसदी लोग अल्जाइमर रोग से पीडि़त हैं : डॉ सिंह

😊 Please Share This News 😊

✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

दवा के साथ-साथ परिवार का सहयोग, शारीरिक और संज्ञानात्मक पुनर्वास रोग प्रबंधन में मदवाहत्वपूर्ण

चंडीगढ़ : जैसे-जैसे वृद्धावस्था बढ़ती है, मनोभ्रंश (डिमेंशिया), जिसे भूलने की बीमारी भी कहा जाता है, बुजुर्गों का पर्याय बन जाती है। हालांकि, मनोभ्रंश की घटना केवल उम्र तक ही सीमित नहीं है। अल्जाइमर रोग मनोभ्रंश का सबसे सामान्य रूप है और मनोभ्रंश से प्रभावित लगभग 70-80 फीसदी लोगों में रोग का निदान किया जाता है। यह बात अल्जाइमर दिवस पर एक विशेष सत्र के दौरान फोर्टिस हॉस्पिटल मोहाली के न्यूरोलॉजी के एसोसिएट कंसल्टेंट डॉ अमित शंकर सिंह ने बताई। वे इसके कारणों, लक्षणों, रोकथाम और उपचार के विकल्पों के बारे में चर्चा कर रहे थे।

अल्जाइमर रोग के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इससे जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने के लिए हर साल 21 सितंबर को विश्व अल्जाइमर दिवस मनाया जाता है। विश्व अल्जाइमर दिवस -2022 का विषय है – डिमेंशिया को जानें, अल्जाइमर को जानें – चिकित्सा स्थिति के चेतावनी संकेतों और निदान पर जोर देना।

डॉ अमित शंकर सिंह ने बताया कि अल्जाइमर रोग मस्तिष्क का एक न्यूरो-डीजेनेरेटिव विकार है जिसके कारण मस्तिष्क सिकुड़ (एट्रोफी) जाता है और मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं। यह रोग व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं जैसे सीखने, स्मृति, भाषा, ध्यान, मोटर और सामाजिक कौशल में गिरावट है। उन्होंने बताया कि भले ही अल्जाइमर के कारण स्पष्ट नहीं हैं, आनुवंशिक वंशानुक्रम रोग के प्रमुख कारणों में से एक है। यह मस्तिष्क में प्रोटीन – अमाइलॉइड प्रोटीन और न्यूरिटिक प्लाक – के असामान्य जमाव के कारण भी होता है, जिससे मस्तिष्क की कोशिकाएं मर जाती हैं। 65 वर्ष से अधिक आयु के लोगों में अल्जाइमर से प्रभावित होने की संभावना अधिक होती है। पुरुषों की तुलना में महिलाओं में भी इस बीमारी के मामले ज्यादा होते हैं।

उन्होंने बताया कि अल्जाइमर रोग के चेतावनी संकेत जिन्हें आसानी से पहचाना जा सकता है वे है स्मृति दुर्बलता, जिसमें सोचने, तर्क करने और समझने में कठिनाई होती है। व्यवहार में बदलाव, भाषा, बोलने में कठिनाई, दैनिक कार्यों को पूरा करने में असमर्थ।

अल्जाइमर रोग पर प्रकाश डालते हुए, डॉ अमित शंकर सिंह ने कहा, भले ही बीमारी को रोकने के कोई सिद्ध तरीके नहीं हैं, नियमित शारीरिक गतिविधि, ध्यान, संतुलित आहार, स्वस्थ वजन बनाए रखना और रक्तचाप को नियंत्रण में रखना मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद करता है।

डॉ अमित शंकर सिंह ने आगे कहा, यह ध्यान में रखा जाना चाहिए कि अल्जाइमर उम्र बढऩे का सामान्य हिस्सा नहीं है। कुछ दवाएं रोग के लक्षणों को नियंत्रित करने में मदद करती हैं। दवा के साथ-साथ परिवार का समर्थन, शारीरिक और संज्ञानात्मक पुनर्वास रोग के प्रबंधन में एक अभिन्न अंग हैं।

व्हाट्सप्प आइकान को दबा कर इस खबर को शेयर जरूर करें 

स्वतंत्र और सच्ची पत्रकारिता के लिए ज़रूरी है कि वो कॉरपोरेट और राजनैतिक नियंत्रण से मुक्त हो। ऐसा तभी संभव है जब जनता आगे आए और सहयोग करे

Donate Now

[responsive-slider id=1466]
error: Content is protected !!