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सहरसा/ नवपदस्थापित एएनएम को दिया गया विशेष प्रशिक्षण

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रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं टीके

जानलेवा एवं संक्रमक बीमारियों से बचाव को लगाये जाते हैं टीके

सहरसा : जिले के शहरी क्षेत्र में नवपदस्थापित एएनएम को टीकाकरण संबंधी दो दिवसीय प्रशिक्षण प्रदान किया गया। इस प्रशिक्षण में नवपदस्थापित एएनएम को नियमित टीकाकरण के दौरान बच्चों को विभिन्न प्रकार की जानलेवा बीमारियों से बचाव के लिए दिये जाने वाले टीकों के बारे में विस्तार पूर्वक बताया गया। साथ ही इन टीकों को दिये जाने की विधि भी बतायी गई। जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डा. कुमाव विवेकानंद के द्वारा नव पदस्थापित एएनएम को दिये जा रहे इस प्रशिक्षण के दौरान कार्य क्षेत्र में टीकाकरण के समय होने वाली कठिनाइयों से अवगत कराने के लिए स्वास्थ्य विभाग की सहयोगी संस्था यूनिसेफ के एसएमसी बंटेश नारायण मेहता, मजहरूल हसन, कार्य क्षेत्र में टीकों को सुरक्षित रखने संबंधी जानकारी देने के लिए यूएनडीपी के वैक्सीन कोल्ड चेन प्रबंधक मुमताज खालिद, नियमित टीकाकरण के समय प्रतिवेदनों को संधारित करने संबंधी जानकारी देने के लिये जिला अनुश्रवण एवं मूल्यांकन पदाधिकारी कंचन कुमारी, डब्ल्यूएचओ के सूरज कुमार आदि मौजूद रहे।

रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित करते हैं टीके-

टीकाकरण के संबंध में जानकारी देते हुए जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया टीकाकरण वह प्रक्रिया है जिसमें रोग विशेष की रोकथाम के लिए विकसित टीका देने के बाद संबंधित बीमारी से बचने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है। टीकाकारण आम तौर पर खतरनाक बीमारियों के नियंत्रण और उन्मूलन करने के लिए किया जाता है। एक अनुमान के तौर पर देखें तो पायेंगे कि नियमित टीकाकरण के माध्यम से सरकार एक बड़ी संख्या में मौतों को रोकने में कामयाब रही है। यह सबसे अधिक किफायती एवं सरल स्वास्थ्य निवेशों में से एक है।

जानलेवा एवं संक्रमक बीमारियों से बचाव को लगाये जाते हैं टीके-

जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने बताया नियमित टीकाकरण के तहत 12 प्रकार की गंभीर बीमारियों से बचाव के लिए सरकार द्वारा मुफ्त में टीके दिये जाते हैं। इनमें तपेदिक यानि टीबी, हेपटाइटिस-बी, पोलियो, गलघोंटू यानि डिप्थेरिया, काली खॉसी यानि पर्टुसिस, टेटनस, हिमोफिलस इन्फ्लुएंजा टाइप- बी, रोटावायरस डायरिया, न्यूमोकोकल निमोनिया, खसरा, रूबैला एवं जापानी इंसेफेलाइटिस आते हैं। उन्होंने बताया टीबी की रोकथाम के लिए बच्चों को जन्म के पश्चात बी.सी.जी. का एक टीका दिया जाता है। हेपटाइटिस-बी, जो कि एक विषाणु के कारण होता है, जिससे लिवर प्रभावित होता है। पोलियो जिससे बच्चों के शरीर किसी भाग में अचानक कमजोरी आ जाती है। गलघोंटू यानि डिप्थीरिया जो आम तौर पर गले और टॉन्सिल को प्रभावित करता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है। इस प्रकार अन्य कई प्रकार के संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी तालिका के अनुरूप बच्चों को नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत उक्त सभी जानलेवा बीमारियों से बचाव को टीके दिये जाते हैं।

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