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सहरसा/ एईएस (चमकी बुखार) पर एक दिवसीय प्रशिक्षण सम्पन्न

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नवीनतम चिकित्सा पद्धति से कराया गया अवगत

एईएस मरीजों की चिकित्सा हेतु सुत्रण करने वाला पहला राज्य

सहरसा : एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) यानि चमकी बुखार एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है। यह किसी भी समय किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। इससे ग्रसित हो जाने पर व्यक्ति को तीव्र बुखार एवं मानसिक स्थिति में अत्यधिक बदलाव का सामना करना पड़ता है। अत्यधिक बुखार के कारण ग्रसित व्यक्ति को मानसिक भ्रम, भटकाव, प्रलाप या कोमा जैसी मानसिक स्थिति का सामना करना पड़ता है। यह रोग सबसे अधिक बच्चों और युवा वयस्कों को प्रभावित करता है। एईएस मामलों में वायरस मुख्य प्रेरक एजेंट हैं। हलांकि पिछले कुछ दशकों में बैक्टीरिया, कवक, परजीवी, स्पाइरोकेट्स, रसायन, विषाक्त पदार्थों और गैर-संक्रामक एजेंटों जैसे अन्य स्रोतो की सूचना मिली है। लेकिन प्रदेश में जापानी एंसेफलाइटिस वायरस (र्जेईवी) एईएस का प्रमुख कारण है। जिले के सभी प्रखंडों के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी, प्रखंड सामुदायिक उत्प्रेरक, स्वास्थ्य प्रबंधक सहित एक पारामेडिकल कार्यकर्ताओं का यह प्रशिक्षण सदर अस्पताल सहरसा स्थित डीईसीआई सभागार में दिया गया।

नवीनतम चिकित्सा पद्धति से कराया गया अवगत-

जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डा. रविन्द्र कुमार ने बताया प्रशिक्षण का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य संस्थानों में र्कायरत चिकित्सकों को एईएस के कारणों एवं उपचार के नवीनतम चिकित्सा पद्धति से अवगत कराना है। इधर के कुछ र्वषों से प्रदेश में एईएस के मामले अधिक पाये जाने एवं उससे होने वाली मृत्यु को देखते हुए राज्य सरकार द्वारा एईएस उपचार के लिए परिमार्जित मानक संचालन प्रक्रिया जारी किया गया है। जिसके तहत चिकित्सकों को यह प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है।

एईएस मरीजों की चिकित्सा हेतु सुत्रण करने वाला पहला राज्य-

चिकित्सकों को प्रशिक्षण दे रहे शिशु रोग विशेषज्ञ डा. रोहित कुमार ने बताया प्रदेश में वर्ष 2019 में मस्तिष्क ज्वर (चमकी बुखार/एईएस) के काफी मरीज प्रतिवेदित हुए थे। राज्य सरकार ने राज्य के शिशु रोग विशेषज्ञ के अलावा देश के प्रतिष्ठित स्वास्थ्य संस्थानों के विशेषज्ञ चिकित्सकों के अतिरिक्त राज्य स्तर पर वेक्टर जनित रोग नियंत्रण कार्यक्रम के विशेषज्ञ, शिशु रोग विशेषज्ञ सहित अन्य तंत्रिका रोग विशेषज्ञ तथा केयर इंडिया, यूनिसेफ जो डेवलपमेंट पार्टनर की मदद से मानक संचालन प्रक्रिया में अनुभवों के आधार पुनः संशोधन किया गया है। उन्होंने बताया बिहार देश का पहला ऐसा राज्य है जहां एईएस मरीजों की चिकित्सा हेतु मानक संचालन प्रक्रिया का सुत्रण किया गया है।

– चमकी बुखार से बचाव के लिए जागरूकता भी जरूरी :

डा. रोहित कुमार ने बताया चमकी बुखार से बचाव के लिए सामुदायिक स्तर पर जन जागरूकता भी बेहद आवश्यक और जरूरी है। इसलिए, प्रशिक्षण के दौरान संबंधित मरीजों की जरूरी समुचित जाँच और इलाज के साथ-साथ इस बीमारी से बचाव के सामुदायिक स्तर पर लोगों को जागरूक करने की भी जानकारी दी जाएगी। साथ ही मैं तमाम जिले वासियों से अपील करता हूँ कि बच्चों को एईएस से बचाने के लिए माता-पिता को शिशु के स्वास्थ्य के प्रति अलर्ट रहना चाहिए। समय-समय पर देखभाल करते रहना चाहिए। स्वस्थ बच्चों को मौसमी फलों, सूखे मेवों का सेवन करवाना चाहिए। साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखना चाहिए। छोटे बच्चों को माँ का दूध पिलाना बेहद आवश्यक है। अप्रैल से जुलाई तक बच्चों में मस्तिष्क ज्वर की संभावना बनी रहती है। बच्चे के माता-पिता चमकी बुखार के लक्षण दिखते ही तुरंत जाँच और जाँच के बाद आवश्यक इलाज कराना चाहिए।

– ये है चमकी बुखार के प्रारंभिक लक्षण :

– लगातार तेज बुखार चढ़े रहना।
– बदन में लगातार ऐंठन होना।
– दांत पर दांत दबाए रहना।
– सुस्ती चढ़ना।
– कमजोरी की वजह से बेहोशी आना।
– चिउटी काटने पर भी शरीर में कोई गतिविधि या हरकत न होना आदि।

– चमकी बुखार से बचाव के लिए ये सावधानियाँ हैं जरूरी :

– बच्चे को बेवजह धूप में घर से न निकलने दें।
– गन्दगी से बचें , कच्चे आम, लीची व कीटनाशकों से युक्त फलों का सेवन न करें।
– ओआरएस का घोल, नीम्बू पानी, चीनी लगातार पिलायें।
– रात में भरपेट खाना जरूर खिलाएं।
– बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।
– पारासिटामोल की गोली या सिरप दें।

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