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मोहाली/ फोर्टिस अस्पताल की सराहनीय पहल : एपिलेप्सी (मृगी) के उपर लिखी पुस्तक का किया प्रोमोशन

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इस बीमारी को लेकर जनजागरूकता आवश्यक : लेखिका

ऑफ एपिलेप्सी बटरफ्लाइज’:. एपिलेप्सी के आसपास सामाजिक कलंक को कम करने के लिए एक जागरूकता कॉल

 

प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट, डॉ एचएस मान ने प्रसिद्ध लेखिका प्रीति सिंह की नई पुस्तक का किया अनावरण

 

मोहाली : एपिलेप्सी (मिर्गी) के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इसके आसपास के सामाजिक कलंक को कम करने के लिए, प्रसिद्ध लेखिका प्रीति सिंह ने फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर डॉ एच एस मान के साथ अपनी पुस्तक ‘ऑफ एपिलेप्सी बटरफ्लाइज’ का अनावरण किया। पुस्तक में लेखिका सहित मिर्गी से पीड़ित आठ लोगों की कहानियों को समाहित किया गया है । लेखिका खुद अपने 2 वर्ष की उम्र से ही इस बीमारी से ग्रसित हैं ।

फोर्टिस अस्पताल मोहाली के न्यूरोलॉजी के एडिशनल डायरेक्टर एचएस मान ने कहा, “मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल विकार है जो मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली कई अंतर्निहित स्थितियों से संबंधित है। प्रत्येक स्थिति के लिए अभिव्यक्तियाँ और उपचार व्यापक रूप से भिन्न होते हैं। लगभग 80% रोगियों को चिकित्सा हस्तक्षेप से प्रभावी ढंग से ठीक किया जा सकता है। हालांकि, इस विकार के आसपास के सामाजिक कलंक और भ्रांतियों को तत्काल दूर करने की आवश्यकता है। प्रीति सिंह की यह पुस्तक मिर्गी से पीड़ित लोगों, उनके परिवारों और देखभाल करने वालों की समस्याओं को उजागर करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। लोगों को यह जानने की जरूरत है कि मिर्गी संक्रामक नहीं है और जादू टोने से जुड़ी नहीं है। अधिकांश रोगियों के लिए, प्रबंधन दवाओं के माध्यम से होता है। यह महत्वपूर्ण है कि उपचार न्यूरोलॉजिस्ट द्वारा करीबी देखरेख और निगरानी में किया जाए। फोर्टिस अस्पताल मोहाली में, हमारे पास एक अनुकूलित, रोगी-केंद्रित दृष्टिकोण के माध्यम से उत्कृष्ट रोगी परिणामों के साथ एक व्यापक मिर्गी उपचार कार्यक्रम है।

ज्ञात हो कि भारत मे इस बीमारी से 15 मिलियन से अधिक लोग ग्रसित हैं । खास बात यह है कि लगभग 50 फीसदी रोगियों में इस बीमारी के कारणों का पता ही नहीं चलता है । साथ ही इस बीमारी में अगर दौरा एक बार में 5 मिनट से कम का आता हो तो स्थिति सामान्य ही सामान्य समझना चाहिए लेकिन अगर 5 मिनट से अधिक का दौरा पड़ता हो तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए ।

मिर्गी को समझने और इस स्थिति से पीड़ित लोगों के साथ सहानुभूति रखने के लिए मौजूदा बाधाओं को तोड़ने की आवश्यकता पर जोर देते हुए, सुश्री प्रीति सिंह ने कहा, “मिर्गी एक सामाजिक कलंक बनी हुई है। मुझे वास्तव में कम उम्र में मस्तिष्क विकार का पता चला था। लेकिन तब से, मुझे अपनी स्वास्थ्य स्थिति के कारण शर्मिंदगी, अस्वीकृति, नकारात्मकता और हीन भावना का सामना करना पड़ा है। मोड़ तब आया जब मेरे दोस्त के 28 वर्षीय बेटे की एसयूडीईपी (सडन अनएक्सपेक्टेड डेथ इन एपिलेप्सी यानि मिर्गी में अचानक अप्रत्याशित मौत) के कारण मृत्यु हो गई। तब मुझे एहसास हुआ कि इस स्थिति के बारे में लिखने का समय आ गया है जो आज न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डरकी तुलना में अधिक सामाजिक कलंक है। इस तरह किताब ‘ऑफ एपिलेप्सी बटरफ्लाइज’ के पीछे की कल्पना की गई।”

इस विषय पर गहराई से विचार करते हुए, सुश्री सिंह ने आगे कहा, ‘कैंसर, मधुमेह, हृदय रोगों और अन्य स्वास्थ्य स्थितियों के बारे में बहुत कुछ लिखा और चर्चा की जाती है, लेकिन सामाजिक कलंक के कारण मिर्गी के आसपास बातचीत नगण्य है। अपनी पुस्तक के माध्यम से, मैं मिर्गी के बारे में जागरूकता बढ़ाना चाहती हूं कि यह कैसे लोगों की मानसिक स्वास्थ्य और समग्र कल्याण को प्रभावित करता है।

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