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बाल कविता/ गवर्नमेंट का झूला

✍️ सुधांशु पांडे “निराला”
प्रयागराज, उत्तर प्रदेश.

 

गवर्नमेंट का झूला।
झूलो बच्चों झूलो;
गवर्नमेंट का झूला।

चहल-पहल से बच्चों के
स्थिरता की सीमा टूटी,
कौतूहल खुशियों में है
पीड़ा घूमे रूठी-रूठी,

उम्मीदों की डाली पर;
कुछ मुरझाया कुछ फूला।
झूलो बच्चों झूलो;
गवर्नमेंट का झूला।

मस्ती से उछले-कूदे
ऊपर,नीचे,दाएं बाएं,
जाने दो जाकर बच्चे
अपना थोड़ा मन बहलाए,

जीवन के कोरे कागज पर;
चित्र बनाता लूला।
झूलो बच्चों झूलो;
गवर्नमेंट का झूला।

शुरू हो गया कंपटीशन
चुन्नू,मुन्नू,गोली में,
दूर-दूर से आते बच्चे
अपनी-अपनी टोली में,

छोटू के संग मोटू;
तोंदू के संग गलफूला।
झूलो बच्चों झूलो;
गवर्नमेंट का झूला।