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सुपौल/ निजी क्लिनिक में इलाज के दैरान महादलित परिवार के मासूम की गई जान

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✍️ अमरेश कुमार, सुपौल

परिजनों ने लापरवाही का लगाया आरोप

 

त्रिवेणीगंज (सुपौल) : निजी क्लिनिक के सामने चबूतरे पर चीखती चिल्लाती इस महिला के मासूम बच्चे की डॉक्टर की लापरवाही से मौत हो गई है । जिसके बाद परिजनों में मातम पसर गया है।

यह घटना है त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय गेट के सामने सामने स्थित एक निजी क्लिनिक का। जहां डॉ ललन कुमार यादव के निजी क्लिनिक यदुवंशी चाईल्ड केयर सेंटर में एक मासूम की इलाज के दौरान मौत हो गई है। बताया गया है कि गौनाहा पंचायत के पुरणदाहा वार्ड नं 14 के रहनेवाले गरीब महादलित परिवार ने अपने 05 महीने के बच्चे को इलाज के लिए इस क्लिनिक में भर्ती किया था। आरोप है कि जिसे पाँच दिनों से डॉ ललन कुमार यादव, के क्लिनिक यदुवंशी चाईल्ड केयर सेंटर में भर्ती रखा गया ।

परिजनों ने बताया की डॉ ललन कुमार यादव, पूर्णिया के सरकारी अस्पताल में काम करता है एवं
त्रिवेणीगंज के अनुमंडल कार्यालय गेट के सामने और मवेशी अस्पताल के बगल में यदुवंशी चाईल्ड केयर सेंटर के नाम से क्लिनिक चला रहा है।
परिजनों ने आरोप लगाया कि डॉ ललन कुमार यादव ने उनके 05 महीने के बीमार बच्चे का तबियत ठीक करने की गारन्टी भी लिया था। जिसके एवज में पाँच दिनों में डॉक्टर ने गरीब महादलित परिवार से 44 हजार रुपए भी ले लिया है ।

खास बात ये भी है कि हजारों रुपये ऐंठने के बाद भी डॉक्टर की लापरवाही के कारण मासूम की मौत हो गई जिसके बाद परिजनों का रोरो कर बुरा हाल है। जैसे ही परिजन क्लिनिक पर पहुंचे डॉक्टर क्लिनिक छोड़ फरार हो गए हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि उस क्लिनिक में अभी भी 14 – 15 बच्चे इलाजरत हैं। चूंकि डॉक्टर क्लिनिक छोड़ फरार हो गए लिहाजा क्लिनिक में भर्ती बच्चों का देखरेख नहीं हो पा रहा है। ऐसे में क्लिनिक में भर्ती उन बांकी बच्चों की स्थिति गंभीर हो सकती है। बाबजूद इस दिशा में न तो प्रशासनिक स्तर से कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है और न ही इस मामले में स्वास्थ्य विभाग ने पहल करने की कोशिश की है।

ऐसे में सवाल ये उठता है कि एक तरफ जहां समय महामारी का चल रहा हूं वहीं ऐसे डॉक्टर जे कारण आम लोग परेशानी में फंस रहे हैं। बाबजूद प्रशासन की पहल नही होना लोगों की जान सांसत में डाल रहे हैं। समय रहते इस दिशा में पहल किया जाना चाहिए ताकि दोषी के विरुद्ध सख्त कार्रवाई हो सके।

हमारे प्रतिनिधि ने जब इस मामले में डॉक्टर का पक्ष जानना चाहा तो कोई डॉक्टर या उनका कोई प्रतिनिधि तक नहीं मिला ।

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