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किशनगंज/ टेढ़ागाछ के कई गाँवों के लिए अब भी आवागमन का माध्यम चचरी पुल

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✍️ प्रदीप कुमार शर्मा, टेढ़ागाछ (किशनगंज)

कई गाँवों में अब तक बिजली भी नहीं है उपलब्ध

ग्रामीणों को हो रही भारी परेशानी

आज़ादी के कई दशकों बाद भी गाँवों की यह तस्वीर चिंताजनक

टेढ़ागाछ (किशनगंज) : प्रखंड जवासियों का सपना कब पूरा होगा ? यह सवाल यहां के आवाम को कसोट रहा है। सरकार विकास का लाख ढोल पीट ले, लेकिन प्रखंड क्षेत्र स्थित विभिन्न पंचायतों में दर्जनों चचरी पुल विकास की पोल खोल रही है।

प्रखंड की भौगोलिक बनावट भी इस इलाके के बदहाली के लिए जिम्मेवार है। खनियाबाद पंचायत के बैरिया, भेलागुड़ी, चिचौड़ा, पीपड़ा ग्राम वासी नारायण प्रसाद सिंह, केशव प्रसाद सिंह, चंदर पंडित, राज कुमार पंडित, शंकर पंडित का कहना है कि हम लोग एक अदद पुल के लिए तरस रहे है। बरसात में नदी पार करने के लिए घंटों नाव का इंतजार करना हमारी विवशता है। अभी ग्रामीणों की सहायता से चचरी पुल बनाकर आवागमन करते है।

इन गांवों तक बिजली भी नहीं पहुंची है। चिल्हनिया पंचायत के मायानंद मंडल, जोगी सहनी, सिकंदर साह, अखिलेश्वर यादव, प्रेमलाल मंडल, जगदीश प्रसाद सिंह, ब्रह्मदेव प्रसाद सिंह बच्चन देव सिंह, गणेश पासवान, गंगा प्रसाद राम, चमन लाल साह कहते है कि रेतुआ नदी में पुल के अभाव में बच्चों की शिक्षा प्रभावित होती है। बरसात में बच्चे तीन से लेकर चार महीने तक विद्यालय नहीं जा पाते है। अभी नदी में चचरी पुल बनाकर काम चल रहा है।

यही हाल पंचायत के पुरंधा ग्रामवासियों का है। पुरंधा कटिंग में पुल निर्माण को लेकर ग्रामवासी कई बार सड़क पर उतर कर आक्रोश व्यक्त कर चुके है। वहीं बैगना पंचायत के तेघिरया गांव वालों की मांग तेघरिया कटिंग में एक अदद पुल नहीं है। सैकड़ों महादलित परिवार कटिंग के किनारे बसे हुए है। उन लोगों को हाट बाजार, खेती- बाड़ी के लिए रोज नाला पार करना विवशता है। हवाकोल पंचायत के गोरिया हाट स्थत ध्वस्त आरसीसी पुल विगत 10 वर्षों से निर्माण के लिए तरस रहा है। स्थानीय दर्जनों गांव के लिए यह ध्वस्त पुल परेशानी का सबब बना हुआ है। यहां पंचायत भवन, मध्य विद्यालय में आवागमन के लिए ग्रामीण सहित बच्चों को काफी परेशानी होती है। विद्यालय में रोज आने जाने वाले छोटे-छोटे बच्चों को काफी परेशानी होती है।

जनप्रतिनिधियों एवं विभागीय पदाधिकारियों को इन समस्याओं के निराकरण के लिए कुछ न कुछ कदम अवश्य उठाना चाहिए ।

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