चंडीगढ़/ 45वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन प्रसिद्ध हिंदुस्तानी संगीत गायक अनघा भट्ट और आदित्य खांडवे ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध – News4All

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चंडीगढ़/ 45वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन प्रसिद्ध हिंदुस्तानी संगीत गायक अनघा भट्ट और आदित्य खांडवे ने अपने प्रदर्शन से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

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✍️ सोहन रावत, चंडीगढ़

सम्मेलन के अंतिम दिन आक सुबह 11 बजे सुरमनी सितार वादिका अनुपमा भागवत की प्रस्तुति होगी

चंडीगढ़ : तीन दिवसीय 45वें वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन के दूसरे दिन, शनिवार को हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की प्रसिद्ध गायिका अनघा भट ने अपने गायन से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, दूसरी ओर हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत गायक आदित्य खांडवे ने अपनी गायकी से श्रोताओं को बांधे रखा और खूब प्रशंसा बटोरीं।

ज्ञात हो कि 45वां वार्षिक चंडीगढ़ संगीत सम्मेलन, इंडियन नेशनल थियेटर द्वारा दुर्गा दास फाउंडेशन के सहयोग से स्ट्रोबरी फील्डस स्कूल सेक्टर 26 में आयोजित किया जा रहा है, जो 5 नवंबर को समाप्त होगा।

अनघा भट्ट ने अपने गायन की शुरूआत राग श्री में विलम्बित तिलवाड़ा ताल में निबद्ध रचना ’वारी जाउं रे’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की, जिसके बाद उन्होंने दु्रत तीनताल में निबद्ध रचना ’चलो री माई’ उपस्थित दर्शकों के समक्ष प्रस्तुत कर खूब प्रशंसा बटोरी। अनघा भट्ट ने अपने गायन को आगे बढ़ातेे हुए राग केदार में विलम्बित तिलवाड़ा ताल में निबद्ध एक रचना ’जोगी रावला’ बखूबी प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जिसके पश्चात उन्होंने एक अन्य रचना ’सैंया मोरा रे’ द्रुत तीन ताल में निबद्ध सुनाकर श्रोताओं का समां बांधा।

अनघा भट्ट के साथ तबले पर विनोद लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा ने बखूबी साथ दिया।
अनघा भट्ट बेंगलुरु, भारत में स्थित एक हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका हैं। वह पंडित उल्हास कशालकर की शिष्या हैं, जो भारत के प्रतिष्ठित संगीतकारों में से एक हैं, जिन्हें तीन शैलियों या घरानों – ग्वालियर, आगरा और जयपुर पर दुर्लभ महारत हासिल है। उन्होंने अपना प्रारंभिक प्रशिक्षण बेंगलुरु स्थित विद्वान गीता हेगड़े से प्राप्त किया। उन्हें प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा पुरस्कार और सम्मान से सम्मानित किया गया है।

वहीं हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की संगीतमयी आभा को बरकरार रखते हुए गायक आदित्य खांडवे ने अपने गायन की शुरुआत राग बागे श्री में विलंबित तीन ताल में निबद्ध रचना ’मोह लयी रे’ श्रोताओं के समक्ष बखूबी प्रस्तुत कर खूब प्रशंसा बटोरी। उन्होंने द्रुत एक ताल में विलम्बित रचना ’बेग बेग बेग बेग आयो’ श्रोताओं के समक्ष प्रस्तुत की। अपने गायन को बढ़ाते हुए उन्होंने राग परज में मध्यलय तीन ताल में निबद्ध रचना ’पवन चलत आली किनो चंद्र खेत’ जिसके पश्चात उन्होंने द्रुत तीन ताल में निबद्ध रचना जपिये नाम जागो’ प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया। आदित्य खांडवे के साथ तबले पर विनोद लेले और हारमोनियम पर विनय मिश्रा ने बखूबी साथ दिया।

हिंदुस्तानी शास्त्रीय गायिका श्रीमती विद्या खांडवे के पु़त्र आदित्य ने प्रारंभिक प्रशिक्षण अपनी मां से प्राप्त किया। जिसके बाद उन्होंने जयपुर घराने की सुप्रसिद्ध गायिका गानयोगिनी पंडिता धोंदुताई कुलकर्णी से गायन की उन्नत शिक्षा ली। उन्हें प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा पुरस्कार एवं सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है।

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